एमपी में पुलिस फायरिंग मे पांच किसान मारे गए

Jun 06, 2017

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 6 जून। सरकार के साथ कई किसान संगठनों के समझौते के बाद भी मध्यप्रदेश में हिंसक रूप ले रहा किसान आंदोलन मंगलवार को ज्यादा हिंसक हो गया। इसके चलते सुरक्षा बलों द्वारा की गई फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई। इसके चलते स्थिति और गंभीर हो गई। पूरे मंदसौर में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। सरकार ने पुलिस या सुरक्षा बलों द्वारा फायरिंग की घटना से इंकार किया है। मुख्यमंत्री ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। मृतकों के परिजनों को पांच-पाचं लाख तथा गंभीर घायलों को एक एक लाख रुपए की आर्थिक मदद का भी ऐलान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने रविवार को उज्जैन यात्रा के दौरान कुछ किसान संगठनों के साथ बातचीत की और आंदोलनकारियों की कई मांगें माने जाने का ऐलान कर दिया। लेकिन समझौते की सरकारी घोषणा के कुछ देर बाद ही आंदोलकारी कई संगठनों ने इसका विरोध कर दिया। सरकार ने काम में तेजी लाते हुए सोमवार को ही समझौते में मानी गई मांगों के आदेश भी जारी कर दिए, लेकिन आंदोलन नहीं थमा। आंदोलनकारियों का कहना था कि सरकार ने आरएसएस और भाजपा से जुड़े संगठनों भर से बातचीत की है। इसलिए इस समझौते का कोई अर्थ नहीं है। यहीं से इसमें सियासी रंग घुल गया। एक तरफ तो कई संगठन आंदोलन को और तेज कर रहे थे और दूसरी तरफ भाजपा से जुड़े किसान संगठन सरकार की जयजयकार करते हुए मुख्यमंत्री का सम्मान करने की तैयारी में जुट गए। दूसरी तरफ गैर भाजपाई दल भी आंदोलनकारी किसानों के साथ हो लिए और मामल बिगड़ने लगा। सरकार ने भोपाल में किसान यूनियन के अध्यक्ष अनिल यादव को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। इसका संदेश भी ठीक नहीं गया और प्रदेश के कई जिलों में आंदोलन हिंसक हो गया। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों ने सरकार के साथ समझौते के बाद आंदोलन समाप्त कर दिया है। अब जो लोग आंदोलन कर रहे हैं, वे किसान नहीं, असामाजिक तत्व हैं। अभी तक पुलिस खामोश थी, लेकिन सख्त कार्रवाई होगी। इसके बाद पूरे प्रदेश में स्थिति और खराब हो गई। मंदसौर में आंदोलनकारियों ने सोमवार को देर रात जहां रेल पटरियां उखाड़ने की कोशिश की थी, वहीं मंगलवार को कई वाहनों के साथ सरकारी दफ्तरों में भी आग लगाने की कोशिश की गई। आंदोलनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग की गई, जिसमें कई किसान घायल हो गए। घायलों में से पांच ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पहले मृतक संख्य दो थी, जो शाम तक बढ़कर पांच हो गई।

सरकार ने पुलिस फायरिंग से इंकार किया लेकिन इसके बाद पूरे प्रदेश में सियासी बवाल मच गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कैबिनेट की बैठक के बाद दिन में दो बार कैबिनेट की आपात बैठक बुलानी पड़ी। मारे गए लोगों के नाम कन्हैयालाल पाटीदार निवासी चिलोद पिपलिया, बंटी पाटीदार निवासी टकरावद, चैनाराम पाटीदार निवासी नयाखेडा, अभिषेक पाटीदार बरखेडापंथ और सत्यनारायण पाटीदार बरखेडापंथ हैं।मंदसौर में सोमवार से ही इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है। फायरिंग के बाद जिला कलेक्टर ने पहले धारा 144 लगाई और इसके बाद कर्फ्यू लगा दिया। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एक पुलिस चौकी और बैंक में भी आग लगाई गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, चीफ सेकेट्री बीपी सिंह, डीजीपी आरके शुक्ला लगातार बैठकें कर स्थिति पर नजर बनाए हैं।

 मुआवजा एक करोड़ हुआ

सरकार ने देेर रात मुआवजे की राशि में भारी बढोत्तरी का ऐलान कर दिया। मृतकों के परिजनों को मुआवजा पांच लाख से बढ़ाकर पहले दस लाख किया गया। इसके बाद में इसे बढ़ाकर एक एक करोड़ कर दिया गया। घायलों को एक-एक लाख के स्थान पर पांच पांच लाख मुआवजे के ऐलान कर दिया गया।

 

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