एमपी के मंदसौर सहित कई जगह रावण दहन नहीं पूजा होती है
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 8 अक्टूबर। विजयादशमी के मौके पर जब पूरा देश रावण दहन पूरे उत्साह के साथ मनाता है, तब मध्यप्रदेश के मंदसौर सहित कई स्थानों पर रावण की पूजा की जाती है।
मध्यप्रदेश के मंदसौर के खानपुरा क्षेत्र में रूण्डी में भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। यहां पर दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। यहां पर रावण का मंदिर भी है। मान्यता है कि है कि रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था। रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंदसौर की निवासी थीं, उन्हीं के कारण दशपुर का नाम मंदसौर माना जाता है। वहीं, छिंदवाड़ा में भी रावण की पूजा की जाती है। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के चिखली गांव में मान्यता है कि अगर रावण की पूजा नहीं की तो पूरा गांव जलकर भस्म हो जाएगा। इसीलिए इस गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि दशहरे पर रावण की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही इस गांव में रावण की एक विशालकाय मूर्ति भी स्थापित है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला में रावण का एक मंदिर है। इस मंदिर को दशानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां रावण की पूजा की जाती है और उसे शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। रावण का यह मंदिर साल 1890 में बनाया गया था। साथ ही इस मंदिर के दरवाजे केवल दशहरे के दिन खोले जाते हैं और शाम में पूजा के बाद बंद कर दिए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के ही इटावा जिले के जसवंतनगर में बिल्कुल अलग तरह का दशहरा मनाया जाता है।दशहरे के दिन यहां पर रावण को जलाने की बजाय उसके पुतले को मार-मारकर टुकड़े करते हैं। फिर उन टुकड़ों को लोग अपने घर ले जाते हैं। इसके बाद रावण की मौत के तेरहवें दिन रावण की तेरहवीं भी करते हैं।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है। यहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।यदि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया तो जलाने वाले की मौत होना निश्चित माना जाता है। कहा जाता है कि बैजनाथ में रावण ने भगवान शिव के एक पैर पर खड़े रहकर तपस्या की थी। यहां पर एक रावण का मंदिर भी है। राजस्थान राज्य के जोधपुर शहर में रावण का एक मंदिर है। यहां के दवे, गोधा और श्रीमाली समाज के लोग रावण की पूजा करते हैं। इन समुदाय के लोग मानते हैं कि जोधपुर रावण का ससुराल रहा था तो कुछ लोग मानते हैं कि रावण के वध के बाद रावण के वंशज यहां आकर बस गए थे। इसलिए ये लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। यहां लंकाधिपति रावण का मंदिर भी है।
उत्तरप्रदेश के एक और जिले गौतमबुद्ध नगर के बिसरख गांव में रावण का मंदिर बना हुआ है। माना जाता है कि बिसरख गांव रावण में रावण का जन्म हुआ था। इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था, जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा।
महाराष्ट्र के अमरावती और गढ़चिरौली जिले में कोरकू और गोंड आदिवासी के लोग रावण और उसके पुत्र मेघनाद को अपना देवता मानते हैं। अपने एक खास पर्व फागुन के अवसर पर वे इसकी पूजा-अर्चना करते हैं। जहां देशभर में रावण दहन किया जाता है, यहां पूजा की जाती है।
कर्नाटक के कोलार जिले में रावण की पूजा की जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि रावण भगवान शिव का भक्त था। यहां पर आयोजित किए जाने वाले लंकेश्वर महोत्सव में शिव के साथ रावण की प्रतिमा का भी जुलूस निकाला जाता है। आंध्रप्रदेश के काकिनाड में रावण का एक मंदिर बना हुआ है। यहां भगवान शिव के साथ उसकी पूजा की जाती है। यहां पर विशेष रूप से मछुआरा समुदाय रावण की पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के लेकर उनकी कुछ और भी मान्यताएं हैं।