एमपी के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का निधन, राजकीय सम्मान के साथ हुई अंत्येष्टि
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 21 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन बुधवार की सुबह भोपाल के एक निजी अस्पताल में हो गया। लगभग 89 साल के पूर्व सीएम करीब एक पखवा़ड़े से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। गौर का अंतिम संस्कार सुभाष नगर विश्राम घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके पोते आकाश गौर ने उन्हें मुखाग्नि दी।
अंतिम संस्कार के पहले गौर की पार्थिव देह भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई। उनकी अंतिम यात्रा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। दोनों ने उनकी शव यात्रा को कंधा दिया। मुख्यमंत्री कमलनाथ भी श्रद्धांजलि देने के लिए गौर के आवास पर पहुंचे। मध्य प्रदेश सरकार ने उनके निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया।
पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि बाबूलाल गौर जी का लम्बा राजनीतिक जीवन जनता-जनार्दन की सेवा में समर्पित था। जनसंघ के समय से ही उन्होंने पार्टी को मज़बूत और लोकप्रिय बनाने के लिए मेहनत की। मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश के विकास के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बाबूलाल ग़ौर के दुखद निधन का समाचार मुझे स्तब्ध करने वाला है,मेरे लिये व्यक्तिगत क्षति है। आज मैंने एक अच्छा मित्र, साथी खो दिया।
परिवार के प्रति मेरी शोक संवेदनाएँ। ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणो में स्थान व पीछे परिजनो को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।
शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश की राजनीति में एक युग की समाप्ति हो गई। मप्र भाजपा के आधार स्तंभ, पूर्व मुख्यमंत्री, हमारे मार्गदर्शक व जन-जन के नेता श्री बाबूलाल गौर के निधन से दुःखी हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें व परिजनों को इस गहन दुःख को सहने की क्षमता प्रदान करें।
गौर का जन्म 2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। वे भाजपा के अकेले नेता रहे जिन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा के लगातार 10 चुनाव जीते। 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक वे मप्र के मुख्यमंत्री रहे थे। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा फिर सत्ता में आई और उन्हें मंत्री बनाया गया। राजनीति में आने से पहले गौर ने भोपाल की कपड़ा मिल में मजदूरी की थी। श्रमिकों के हित में कई आंदोलनों में भाग लिया था। वे भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्य थे। 1974 में मध्य प्रदेश शासन द्वारा उन्हें 'गोआ मुक्ति आंदोलन' में शामिल होने के कारण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का सम्मान प्रदान किया गया था। 2003 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा भारी बहुमत से 10 साल बाद सत्ता में लौटी। उमा भारती मुख्यमंत्री बनीं। एक साल के अंदर ही उनके नाम कर्नाटक के हुबली शहर की अदालत से वॉरंट जारी हो गया। 10 साल पुराने मामले में उमा भारती को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के कहने पर इस्तीफा देना पड़ा था। उमा ने गौर को ये सोचते हुए मुख्यमंत्री बनवाया कि वे जब कहेंगी गौर त्यागपत्र दे देंगे। उमा ने उन्हें गंगाजल हाथ में रखकर कसम दिलाई थी कि जब कहूं तब सीएम की कुर्सी छोड़ देना। लेकिन, क्लीन चिट मिलने पर जब उमा ने उनसे इस्तीफा मांगा तो गौर ने साफ मना कर दिया था।
बाबूलाल गौर ने 23 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने दक्षिण भोपाल और गोविंदपुरा सीट से 10 बार चुनाव जीता। जून 2016 में भाजपा आलाकमान ने उम्र का हवाला देकर गौर को मंत्री पद छोड़ने के लिए कहा था। पार्टी के इस निर्णय से वे स्तब्ध और दुखी थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा न तो उन्हें टिकट देना चाहती थी न उनकी पुत्रबधू कृष्णा को। गौर ने बगावती तेवर अपना लिए और पार्टी के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी। आखिरकार भाजपा ने कृष्णा गौर को टिकट दिया और कृष्णा को इस सीट पर जीत मिली।