एमपी का हर नागरिक 14 हजार का कर्जदार
भोपाल, 24 फरवरी। मध्यप्रदेश में रहने वाला हर व्यक्ति लगभग 14 हजार रुपए का कर्जदार है। उसने भले ही किसी तरह का कोई लोन नहीं लिया हो या फिर किसी से उधारी न ली हो या फिर कोई ईएमआई नहीं देनी होती हो...फिर भी वह कर्जदार है। मध्यप्रदेश का नागरिक होने के कारण कर्जदार होना उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। असल में कर्जा मध्यप्रदेश सरकार ने लिया है। पिछले वित्तीय वर्ष की समाप्ति (31 मार्च 16) तक सरकार पर कर्ज की यह रकम करीब 1 लाख 11 हजार 101 करोड़ थी। सरकार कर्जदार है तो प्रदेश का हर नागरिक कर्जदार है। इसलिए प्रदेश के हर नागरिक में यह कर्ज बांट दिया गया तो प्रति नागरिक करीब 13,853 रुपए कर्ज आता है। सरकार मानती है कि मध्यप्रदेश की आबादी करीब 8.02 करोड़ होगी। उसके अनुमान से प्रति व्यक्ति कर्जा इतना ही बैठेगा। यह आंकड़ा एक साल पुराना है जो अब बढ़कर 14 हजार से ज्यादा ही हो गया होगा। यह कोई गप्प नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश सरकार की आधिकारिक जानकारी है। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक रामनिवास रावत के एक सवाल के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री जयंत मलैया ने यह जानकारी दी है।
सवाल और जवाब दोनों पढिए.....
मध्यप्रदेश विधान सभा सचिवालय
प्रश्न प्रश्न क्रमांक : 272(तारांकित)
दिनांक: 23/02/2017
विभाग का नाम : वित्त
विषय: म.प्र.शासन पर कर्ज की स्थिति ।
श्रीरामनिवास रावत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि - (क) 31 मार्च 2014, 31 मार्च 2015 व 31 मार्च 2016 की स्थिति में म.प्र. शासन पर कितना कर्ज था ? प्रश्नांकित दिनांक तक म.प्र. शासन पर कितना कर्ज है व 31 मार्च 2017 की स्थिति में म.प्र. शासन पर कुल कितना कर्ज संभावित है ?
(ख) 1 अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 की अवधि में क्या राज्य शासन ने कोई कर्ज लिया है? यदि हां, तो कितना-कितना, कब-कब व कहां-कहां से ?
(ग) वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में प्रश्नांकित अवधि तक कितनी-कितनी राशि ऋण किश्तों एवं ऋण ब्याज के रूप में अदा की गई है ? कितनी राशि स्थापना एवं पेंशन पर व्यय की गई है एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष में कितनी राशि ऋण किश्त् व ऋण ब्याज में अदा की जाना है ? उक्त राशि वर्ष 2016-17 के बजट का कितना प्रतिशत है?
(ग) 31 मार्च 2016 की स्थिति में मध्य प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर औसतन कितना कर्ज था एवं 31 मार्च 2017 की स्थिति में कितना संभावित है ?
उत्तर
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया): (क) दिनांक 31.03.2014 में रूपये 77413.87 करोड़, 31.03.2015 में रूपये 94979.16 करोड़, 31.03.2016 में रूपये 111101.10 करोड़ का कर्ज शासन पर था। 31.03.2017 की स्थिति में मध्यप्रदेश पर कुल कर्ज की स्थिति नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक व्दारा प्रेषित वित्त लेखों में स्पष्ट हो सकेगी। जो कि अभी अप्राप्त है।
(ख) जी हां। अप्रैल,2016 से जनवरी,2017 की अवधि का वित्त लेखा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक व्दारा तैयार किया जाना है। अत: विवरण दिया जाना संभव नहीं है।
(ग) वित्तीय वर्ष 2015-16 में लिये गये ऋण एवं ब्याज भुगतान वित्त लेखा 2015-16 के विवरण क्रमांक 6 व 17 पर उपलब्ध है, इसी प्रकार वेतन पर व्यय का विवरण भाग-दो परिशिष्ट-एक उपलब्ध है। जो विधानसभा के पुस्तकालय में अवलोकनीय है। वर्ष 2016-17 हेतु भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक से वित्त लेखा वित्त वर्ष की समाप्ति उपरांत प्राप्त होगा, जिसमें उक्त स्थिति का उल्लेख होगा।
(घ) वर्ष 2011 के जनगणना के आधार पर मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7.26 करोड़ थी। जनगणना की वार्षिक वृद्धि दर 2.03 प्रतिशत (दशकीय वृद्धि दर- 20.30 प्रतिशत) के मान से वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश की अनुमानित जनगणना 8.02 करोड़ प्रक्षेपित होती है। 31.03.2016 की स्थिति में मध्यप्रदेश पर कुल रूपये 1,11,101.10 करोड़ का कर्ज था। अत: 31.03.2016 की स्थिति में प्रति व्यक्ति कर्ज लगभग रूपये 13,853.00 है। 31.03.2017 की स्थिति में वित्त लेखे महालेखाकार से प्राप्त नहीं होने के कारण कर्ज की गणना करना संभव नहीं है।