उमा भारती ने फिर सरकार पर साधा निशाना, सिस्टम पर उठाए सवाल

Oct 02, 2023

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 2 अक्टूबर। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक बार फिर सरकार पर निशाना साधते हुए सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाए हैं। उनके बयानों को विधानसभा चुनावों में उनके समर्थकों को टिकट दिए जाने की मांग से जोड़कर देखा जा रहा है। इसे उनकी प्रेशर पालिटिक्स माना जा रहा है।

फायर ब्रांड भाजपा नेत्री उमा भारती ने भोपाल में एक कार्यक्रम में कहा कि बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनती तो हैं, मगर उससे विकास कम होता है. ठेकेदारों को लाभ ज़्यादा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों पर प्राइवेट स्कूलों जैसी व्यवस्था होनी चाहिए। पढ़ाने की व्यवस्था प्राइवेट स्कूलों जैसी होनी चाहिए। शिक्षकों को उचित वेतन, समय पर वेतन और ज़रूरत के मुताबिक़ तबादले होना चाहिए, ताकि वे अच्छे से पढ़ाई करवा सकें। उमा भारती का कहना है कि अच्छे डॉक्टर की भर्ती होना चाहिए। सरकारी अस्पताल में अच्छी सुविधाएं होनी चाहिए। उन्होंने इस कड़ी में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा फिर से उठाया और कहा कि ओबीसी महिलाओं को पार्लियामेंट में बैठाने का मौका मिलना चाहिए ताकि वे सारी बाते वह पार्लियामेंट में रख सकें। रावण लंका और राम का उदाहरण देते हुए उमा भारती ने कहा कि राम सर्वहारा थे इसलिए लंका धूँ धूँ कर के जल गई और रावण की मुण्डियाँ कटती नज़र आईं। इसलिए कहते हैं जो सर्वहारा होता है उसकी जीत निश्चित ही होती है।एक बात ध्यान रखना चाहिए कि सरकार को सर्वहारा वर्ग का ध्यान रखना होगा। उमा भारती ने कटाक्ष करते हुए लोगों से कहा कि चुनाव टाइम में भले ही आप लोगों को हाथ नहीं जोड़ना पड़े, मगर चुनाव के बाद हाथ ज़रूर आपको जोड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राम राज्य सभी समुदायों को मिलाकर बना था। समाज की विषमता से राम राज्य कि स्थापना नहीं होती। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाँदी की चम्मच में खीर खा रहे हैं और कुछ गरीब लोग जंगल के खट्टे बेर खा रहे हैं। केवट का उदाहरण देते हुए उमा ने सरकार पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद केवट को नहीं भूलना चाहिए...उसका वन, उसका तालाब, उसका मछुआरा नहीं भूलना चाहिए। पता चला पट्टा किसी और का .. खनन किसी और का ज़मीन किसी और की पट्टे किसी और की। उमा भारती ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए कहा कि यह बहुत ज़रूरी है। देश में जब देखो तब चुनाव और चुनावी रैलियाँ। इसलिए मैं तो कहती हूँ लोकसभा विधान सभा और नगर पंचायत निकायों के चुनाव एक साथ कर देने चाहिए। उन्होंने चुनाव से पहले माई के लाल का जिन्न बाहर निकाल लिया और कहा कि कोई भी माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता है। अनुसूचित जाति जनजाति के लोग चाहेगे तो ही आरक्षण खत्म होगा।

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