आदिवासियों को लुभाने की तैयारी में शिवराज सरकार
खरीखरी संवाददाता भोपाल 11 मई। सोशल इंजीनियरिंग के तमाम फंडों के दम पर मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश में लगी शिवराज सरकार अब आदिवासी विकास यात्रा निकालने की तैयारी में है। नर्मदा सेवा यात्रा समाप्त होने के कुछ दिन बाद ही इस नई योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं।
मध्यप्रदेश में पिछले कुछ समय से सरकार समाज के अलग-अलग वर्गों तक सीधी पहुंच बनाने की कोशिश में जुटी है। निश्चित रूप से यह सत्तारूढ़ भाजपा अपना एजेंडा होगा लेकिन उसे प्रशासनिक ढांचे में ढाल कर क्रियान्वित किया जा रहा है। नर्मदा सेवा यात्रा इसका जीता-जागता उदाहरण है। कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए नई योजनाएं भी तैयार की जा रही हैं इसी कड़ी में आदिवासी विकास यात्रा प्लान की गई है। सीएम सचिवालय ने संबंधित विभागों को नोटसीट भेजकर इसकी तैयारी करने को कहा है। विभागों ने उस पर काम शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि आदिवासी विकास यात्रा भी नर्मदा यात्रा की तरह पूरी तरह सरकारी कार्यक्रम होगा। इसके तहत कार्यक्रम स्थल पर ही सरकार आदिवासियों की समस्याओं का निराकरण करेगी।
जिस प्रकार प्रदेश भर में जगह-जगह अन्त्योदय मेले लगाकर मौके पर ही ग्रामीण जनता की समस्याएं निपटाने की कोशिश की गई थी, उसी तरह इस आदिवासी विकास यात्रा में भी काम होगा। आदिवासी बाहुल्य सभी जिलों में तहसील और विकास खंड स्तर तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी। यात्रा के तमाम प्रमुख पड़ावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद शामिल होंगे। इसके अलावा आदिवासियों की समस्याओं से जुड़े विभागों के मंत्री तथा जिलों के प्रभारी मंत्री यात्राओं में लगातार बने रहेंगे। संभवतः वर्षात के बाद आदिवासी विकास यात्रा पर तेजी से काम होगा।
मध्यप्रदेश में विधानसभा की लगभग 65 सीटें आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में हैं। करीब 20 फीसदी आबादी इस वर्ग से आती है। ऐसे में सरकार का इस वर्ग से सीधा सम्पर्क चुनावी फायदा पहुंचा सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोशल इंजीनियरिंग अभी तक मुख्यमंत्री निवास में होने वाली पंचायतों और अन्य आयोजनों तक सीमित थी और अब वह खुद मैदान में उतर कर अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की कोशिश में जुट गए हैं। ऐसे में चुनावी लाभ मिलना तय है।