आतंक के टारगेट पर जनधन खते
भोपाल, 12 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब आम आदमी को बैंकिंग से जोड़ने के लिए जनधन खाते खुलवाने की योजना बनाई होगी तब यह सोचा भी नही होगा कि इन खातों का दुरुपयोग किस हद तक हो जाएगा। नोटबंदी के बाद इन खातों का उपयोग ब्लैक मनी को ठिकाने लगाने में हुआ, वहां तक तो ठीक था, लेकिन हाल ही में मध्यप्रदेश में पकड़े गए आईएसआई नेटवर्क एजेटों से इन खातों के दुरुपयोग का जो खुलासा हुआ वह बेहद चौंकाने वाला है। इन खातों का उपयोग आंतकी संगठनों से जुड़े लोगों तक धन पहुंचाने के लिए किया जा रहा था। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल जनधन खाते आंतक के टारगेट पर हैं, इसकी भनक तक किसी को नही थी।
मप्र पुलिस की एटीएस इकाई द्वारा आईएसआई नेटवर्क से जुड़ने के आरोप में गिरफ्तार सतना का बलराम मददगारों को पैसा पहुंचाने के लिए जनधन खातों का भी इस्तेमाल करता था। एटीएस की पूछताछ में पता चलहा है कि इस काम में उसकी मदद उसका दोस्त रज्जन ऊर्फ राजीव तिवारी करता था। रज्जन गांजा तस्करी के मामले में मैहर जेल में बंद है। कुख्यात गांजा तस्कर अनूप जायसवाल उर्फ जस्सा के लिए काम करने वाला रज्जन आईएसआई के लिए भी काम कर रहा था। एटीएस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बलराम के साथ सिर्फ रज्जन भर काम नहीं करता था, बल्कि आधा दर्जन और लोग उसके लिए सीधे तौर पर काम करते थे। इनमें से लगभग सभी को एटीएस ने पहचानकर अपने राडार पर ले लिया है और बहुत जल्द इनकी गिरफ्तारी हो जाएगी।
बलराम के साथ काम करने वाले उसके साथी और उनसे जुड़े मददगारों तक पैसा पहुंचाने के लिए जनधन खातों का उपयोग किया जाता था। एटीएस सूत्रों के अनुसार रज्जन पैसे जमा करने के लिए ग्रामीणों के बैंक खाते खुलवाता था। बताया जा रहा है कि उसने कई ग्रामीणों के जनधन खाते खुलवाए और उनकी पासबुक और एटीएम खुद रख लिए। इसके बदले खाताधारकों को वह कुछ रकम दिया करता था। इन खातों में आने वाले पैसों को पाकिस्तानी हैंडलर्स के कहने पर या ऑनलाइन या सीधे संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाने की कवायद बलराम का पूरा नेटवर्क करता था। यह काम किसी एक के भरोसे इसलिए नहीं छोड़ा गया तक किसी को एक ही व्यक्ति द्वारा बार बार खाते आपरेट करने पर कोई शक नही होने पाए।
जनधन खातों का इस तरह दुरुपयोग होने की जानकारी मिलने के बाद एटीएस के साथ साथ बैंक वाले भी परेशान हैं। लगभग सभी बैंकों ने अपने यहां थोक के भाव जनधन खाते खोले हैं। उस समय सभी को टारगेट पूरा करना था, इसलिए जनधन खाते खोलते समय ज्यादा जांच पड़ताल नहीं की गई। इसलिए अब दहशत इस बात को लेकर है कि छोटी सी भूल अब भारी न पड़ जाए।