अवैध कालोनियों को वैध करने पर हाईकोर्ट ने लगाया ब्रेक

May 10, 2018

भोपाल, 10 मई। प्रदेश में अवैध कालोनियों को वैध करने की राज्य सरकार की मुहिम को करारा झटका लगा है। मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद प्रशासन अवैध कालोनियों को वैध करने की मुहिम में जुट गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार की स्पीड पर ब्रेक लगा दिया है। हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से कई मुद्दों पर जवाब तलब किया है। इसके बाद यह मामला सियासी दांव पेंच में भी उसझने लगा है।

प्रदेश भर में कालोनियों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। शासन और प्रशासन के अफसरों की लापरवाही और मिली भगत के चलते प्रदेश भर में बिल्डर और डेवलपर अवैध कालोनियों का जाल फैलाते जा रहे हैं। अफसरों और बिल्डरों की इस करतूत का खामियाजा इन कालोनियों में रहने वालों को भुगतना पड़ता है। इन रहवासियों में एक बड़ा वोट बैंक शामिल है। इसलिए सरकार ने चुनाव के ठीक पहले अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर में इसकी घोषणा करते हुए मतदाताओं को लुभाने वाली तमाम बातें की। शासन शायद पहले से तैयार बैठा था, इसलिए मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद इस पर अमल भी शुरू हो गया। लेकिन ग्वालियर के एक वकील उमेश बोहरे इस घोषणा के बाद जनहित याचिका लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में चले गए। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अशोक कुमार  जोशी की डबल बेंच ने शासन से पूछा कि क्या अवैध कॉलोनियों को वैध किया जा सकता है? इस संबंध में शासन ने कोई नीति बनाई है क्या? शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विशाल मिश्रा ने बताया कि कॉलोनियों को वैध करने के लिए नगर निगम अधिनियम में संशोधन किया गया है। इस पर कोर्ट ने शासन व नगर निगम को 15 दिन के भीतर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने अच्छा मुद्दा उठाया है। जनहित याचिका दायर करने वाले एडवोकेट उमेश बोहरे ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि चुनाव के पहले मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। इसके कारण प्रदेश भर में भू माफिया सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश में 6 हजार से अधिक अवैध कालोनियां चिन्हित कर दी गई हैं। इनमे से करीब साढ़े चार हजार को वैध किए जाने का प्रस्ताव है। लेकिन अब मामला हाईकोर्ट में चले जाने के कारण इसमें पेंच फंस गया है।

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