अमित शाह का अल्टीमेटम तीसरे चरण की सीटों पर असर दिखा रहा

Apr 28, 2024

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 28 अप्रैल। बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार केंद्रीय मंत्री अमित शाह के मंत्रियों को अल्टीमेटम के बाद भी मध्यप्रदेश में दूसरे चरण में भी वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में बहुत कम रहा। लेकिन अब तीसरे चरण की तैयारी में अल्टीमेट का असर दिखाई पड़ रहा है। जिन मंत्रियों के क्षेत्र में तीसरे चरण में वोटिंग है वे सारे काम छोड़कर सिर्फ चुनाव में लग गए हैं। हेलीकाप्टर और हवाई जहाज से उतरकर सड़क और गलियां नाप रहे हैं। पार्टी के प्रत्याशी को खोजकर उसके साथ चल रहे हैं। तीसरे चरण में मध्यप्रदेश की आठ सीटों पर वोटिंग होनी है। इनमें से सभी आठों सीटें अभी बीजेपी के कब्जे में है>

भाजपा के बड़े रणनीतिकारों का टारगेट मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव में जीती गई सभी सीटों पर कब्जा बनाए रखने के साथ ही जीत का मार्जिन भी बढ़ाना है। इसलिए पहले चरण में कम वोटिंग के बाद अमित शाह को अल्टीमेटम देना पड़ा कि जिन मंत्रियों के क्षेत्र में वोटिंग कम हुई, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। यह अल्टीमेटर दूसरे चरण की वोटिंग के एक दिन पहले आया। शायद इसलिए बहुत असर नहीं दिखा पाया और दूसरे चरण में भी कम वोटिंग हुई। लेकिन इस कम वोटिंग ने अब तीसरे चरण के प्रचार में जोर ला दिया है। अब बीजेपी के सारे दिग्गज पूरी ताकत के साथ चुनाव अभियान में जुट गए हैं। पार्टी की बूथ मैनेजमेंट टीम के साथ मंत्रियों- विधायकों की बैठकेंस होने लगी हैं और प्रत्याशी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की कवायद हो रही है। पन्ना प्रभारियों और अर्ध पन्ना प्रभारियों की बैठकें रोज होकर नई रणनीति बन रही है। इसलिए तीसरे चरण की नौ सीटों में से सिर्फ दो मुरैना और राजगढ़ में ही बीजेपी को थोड़ी चुनौती लग रही है। शेष सात सीटों पर पार्टी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। प्रदेश में तीसरे चरण में 7 मई को भोपाल, विदिशा, राजगढ़, बैतूल, सागर, गुना, ग्वालियर, मुरैना और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड सीट पर मतदान होगा। इन सीटों पर महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे मोदी के चेहरे, राममंदिर और हिंदुत्व के सामने दब गए हैं। कुछ सीटों पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा है, जहां उसकी राह आसान दिख रही है। वहीं, टक्कर वाली सीटों पर राजनीतिक पार्टियां जातिगत फैक्टर के साथ ही वोटरों को साधने हर कोशिश में जुटी हुई हैं। इस चरण में दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह तथा एक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है।

 विदिशा सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री और पांच बार सांसद रहे शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सांसद भानु प्रताप शर्मा को टिकट दिया है। यहां मोदी के साथ ही राममंदिर भी मुद्दा है। यह सीट भाजपा का गढ़ है। इसके बावजूद शिवराज सिंह लगातार गांव-गांव में घूम कर प्रचार कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप शर्मा लंबे समय से सक्रिय नहीं हैं। वहीं, कई कांग्रेस के सक्रिय नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली। इसने भी कांग्रेस प्रत्याशी की चुनौती बढ़ा दी।

मुरैना संसदीय सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू पर दांव लगाया है। सत्यपाल के भाई सतीश सिकरवार विधायक हैं और भाभी शोभा सिकरवार ग्वालियर से मेयर हैं। यहां पर दोनों ठाकुर प्रत्याशियों के चलते वोट दोनों के बीच बंट सकता है। ऐसे में दलित और ब्राह्मण वोटर्स जीत-हार तय कर सकता है। इसको देखते हुए चुनाव से पहले भाजपा ने बसपा से पूर्व विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया को भाजपा में शामिल करा लिया है। मुरैना में कांग्रेस के पांच विधायक हैं। हालांकि यहां पर मोदी भी फैक्टर है।

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड लोकसभा सीट पर भाजपा ने सांसद संध्या राय को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने विधायक फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ जनता में नाराजगी है। वहीं, फूल सिंह बरैया की दलित वोटरों में अच्छी पकड़ है। इसी सीट पर 30 प्रतिशत से ज्यादा दलित और आदिवासी वोटर हैं। यहां पर केंद्र की पीएम आवास समेत अन्य योजनाओं के चलते मोदी को लोग पसंद कर रहे हैं। फूल सिंह बरैया दमदार चेहरा होने से चुनाव में बने हुए हैं।

ग्वालियर में भाजपा ने सांसद विवेक शेजवलकर का टिकट काटकर ओबीसी से आने वाल भारत सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही पिछला विधानसभा चुनाव हार गए। ग्वालियर सीट भाजपा का गढ़ है। भाजपा मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। इसके आगे बेरोजगारी, महंगाई सभी मुद्दे दब गए हैं। दोनों ही प्रत्याशियों के सामने अपनी पार्टी के भितरघातियों का डर है। प्रवीण पाठक ब्राह्मण हैं। युवा नेता हैं। वे अपनी तरह से चुनाव में पूरा जोर लगा रहे हैं।

बैतूल सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां पर भाजपा ने सांसद दुर्गादास उइके को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी रामू टेकाम को टिकट दिया है। बैतूल में भाजपा का संगठन लगातार काम कर रहा है। इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हरदा में रैली कर चुके हैं।

सागर संसदीय सीट पर भाजपा ने राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेड़े को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने गुड्डू राजा बुंदेला को टिकट दिया है। आठ माह में प्रधानमंत्री ने सागर का तीसरा दौरा किया और भाजपा प्रत्याशी के लिए रैली की। इस सीट पर हिंदुत्व, राममंदिर और मोदी के चेहरे पर भाजपा वोट मांग रही है। यहां पर भाजपा के सामने कांग्रेस का संगठन बहुत कमजोर है।

भोपाल संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर पांच लाख के करीब मुस्लिम वोटर्स हैं। भाजपा को वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा हो सकता है। यही वजह है कि भाजपा ने दो विधानसभा चुनाव हारे आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो किया। सड़कों को पूरा भगवामय कर दिया। यहां पर महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक, हिंदुत्व और राममंदिर के आगे सब दब गए हैं

राजगढ़ सीट पर भाजपा ने दो बार के सांसद रोडमल नागर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। राजगढ़ सीट दिग्विजय सिंह का गढ़ है। रोडमल नागर के खिलाफ जनता में नाराजगी है। ऐसे में भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए यहां पर मोदी के चेहरे के साथ राममंदिर, हिंदुत्व के मुद्दे को आगे कर दिया है। दिग्विजय सिंह ने भी पूरा जोर लगा दिया है।

गुना-शिवपुरी संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद केपी यादव का टिकट काट कर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा छोड़कर पार्टी में शामिल होने वाले यादवेंद्र यादव को टिकट दिया है। इस सीट पर सिंधिया परिवार का प्रभाव है। 2019 में कांग्रेस के टिकट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी लहर में चुनाव हार गए थे। यहां कांग्रेस केपी यादव का टिकट काटने से नाराज यादव वोटरों को साधने में लगी है, लेकिन शाह ने एक रैली में गुना को सिंधिया और केपी यादव दो नेता मिलने की बात कहकर समाज की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है।

इन सभी सीटों पर सियासी समीकरण अब और तेजी से बदल रहे हैं। पीएम मोदी और अमित शाह की सक्रियता ने सभी नौ सीटों पर पार्टी के दिग्गजों के काम में तेजी ला दी है। राज्य सरकार के क्षेत्रीय मंत्री और अन्य़ प्रभावी लोगों की आमद सभी सीटों पर बढ गई है। अमित शाह का अल्टीमेटम अपना असर दिखा रहा है।

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