अब विधायकगण पहले की तरह अध्ययन करके सदन में नहीं आते-स्पीकर
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 19 दिसंबर। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसरोवर सभागार में विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह द्वारा लिखित एवं शिवना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक "विधानमंडल पद्धति एवं प्रक्रिया" का विमोचन अध्यक्ष, मध्य प्रदेश विधानसभा श्री गिरीश गौतम द्वारा संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा, एन. पी. प्रजापति की गरिममय उपस्थिति में किया गया ।इस अवसर पर मंत्रिगण, सदस्य एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि यह पुस्तक प्रथम बार मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष संदर्भ में लिखी गई है जिसमें विधान मंडल पद्धति एवं प्रक्रिया की समग्र रुप से सरल हिंदी भाषा में विवेचना की गई ।परंत यह पुस्तक मध्य प्रदेश विधानसभा सदस्यों के साथ अन्य राज्यों से विधान मंडल सदस्यों के लिए भी उपयोगी होंगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने कहा कि हमारे सभी विधानसभा सदस्यों एवं भविष्य के भावी सदस्यों का संसदीय प्रक्रिया की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी साबित होगी इसका मुझे प्रबल विश्वास है। गौतम ने कहा कि यह देखने में अक्सर आता है कि माननीय सदस्यों ने पढ़ना बंद कर दिया है। पहले विधानसभा सदस्य अध्ययन करके सदन में आते थे और फिर अपनी बात रखते थे, लेकिन आज कल इसका अभाव स्पष्ट नजर आता है। सभी सदस्यों को सदन में आने के पहले अपने विषय का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। श्री गौतम ने वर्ष 2004 में स्वयं द्वारा विधायक के रूप में उठाए गए एक प्रश्न का उद्धरण देते हुए बताया कि उक्त विषय पर उनके द्वारा किए गए गहन अध्ययन एवं उस आधार पर सदन में अपनी बात रखने से सरकार की तरफ से प्रभावी कार्रवाई की जा सकी थी।
श्री गौतम ने कहा कि हमारे यहां स्थगन प्रस्ताव में ग्राह्यता पर बहस में ऐसा दृष्टिगोचर होता है कि स्थगन ग्राह्य होने के बाद विषय पर बहस प्रारंभ हो गई है। श्री गौतम ने कहा कि डिजीटल मीडिया के कारण भी पढ़ने में कमी आई है। वर्तमान में यह होने लगा है कि सदन में हल्ला करने वाले को मीडिया में ज्यादा स्थान मिलता है और अध्ययन करके सदन में अपनी बात रखने वाले को कम, इसलिए गलत धारणा बन रही है। उन्होने बताया कि इस किताब के 29 अध्याय में संसदीय प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी है। ताकि माननीय सदस्य, प्रश्नकाल, स्थगन, शून्यकाल आदि अलग-अलग विधा में कैसे अपनी बात रखना है यह जान सके।
संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने श्री ए.पी.सिंह के व्यक्तिव एवं व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा कि विधानसभा में सार्थक चर्चा हो इसके लिए यह पुस्तक एक नजीर बनेगी। उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे इस पुस्तक का अध्ययन अवश्य करें।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सौम्य एवं सरल व्यक्तित्व के धनी श्री ए.पी.सिंह किसी भी कार्य को सुलझाने में माहिर माने जाते है, लेकिन मुझे आज ही यह भी पता चला कि उनकी लेखनी भी सशक्त है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एवं "विधानमंडल पद्धति एवं प्रक्रिया" के लेखक श्री ए.पी.सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मुझे अपनी संसदीय सेवा के दौरान जो भी ज्ञान प्राप्त हुआ है वह माननीय सदस्यों एवं अन्य लोगों के लिए उपयोगी बन सके इसी को उद्देश्य बनाकर यह पुस्तक मैंने लिखी है।
श्री ए.पी. सिंह ने कहा कि लोककल्याण के कार्यो एवं जनसमस्या को सभा में उठाने का कार्य जनप्रतिनिधि के रूप में लोकसभा में सांसदों एवं विधानमंडलों के सदस्यों द्वारा किया जाता है, साथ ही नीतियों का आकलन एवं कार्यपालिका पर नियंत्रण रखने का अधिकार भी विधायिका को है। इनसभी दायित्यों का निर्वहन संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है। इस पुस्तक का उद्देश्य सरल भाषा में संसदीय प्रक्रिया के सभी अव्यवों आप सभी तक पहुंचाना है।