बातचीत: अपनी ही सरकार पर जमकर बरसे विधायक लक्ष्मण सिंह
खरी खरी संवादादता
भोपाल, 29 नवंबर। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह एक बार फिर अपनी ही सरकार पर जमकर बरसे हैं। उन्होंने बाबाओं को शासन तंत्र में शामिल करने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा है कि बाबागीरी बंद होनी चाहिए और सरकार तंत्र को बाबाओं के आगे नतमस्तक नहीं होना चाहिए।
भोपाल में शुक्रवार को खरी खरी से विशेष बातचीत करते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने कहा कि सरकार ने बाबाओं को पदों से नवाज दिया है और इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। बाबा किसी भी जिलें में पहुंचकर कलेक्टर एसपी सहित सभी अधिकारियों पर रौब दिखाते हैं और अधिकारी सरकार के दबाव नें उन बाबाओं के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री, विधायक, अधिकारी बाबाओं को आगे ढोक दे रहे हैं और पार्टी को सत्ता में लाने के लिए अपना खून पसीना बहाने वाला कार्यकर्ता दूर खड़ा होकर तमाशा देख रहा है। उसकी कोई पूछ परख प्रशासन या शासन में नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि पहुंचे हुए संत हों तो भी एक बारगी इसे नजर अंदाज किया जा सकता है। उनके आगे नतमस्तक हुआ जा सकता है, लेकिन अभी जिन बाबाओं के लिए यह सब हो रहा है, वह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि साधु-संतो-बाबाओँ का काम सियासत करना या प्रशासन चलाना नहीं है। उनका काम धर्म और आध्यात्म के लिए काम करना है, इसलिए सरकार को यह बाबागीरी बंद करनी चाहिए। इससे संगठन, सरकार और सिस्टम तीनों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि उनके समर्थक विधायक गोवर्धन दांगी ने शायद इसीलिए साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ गलत टिप्पणी कर दी क्योंकि वे शायद मिर्ची यज्ञ से प्रभावित हो गए हैं। इस तरह की भाषा मिर्ची यज्ञ में ही बोली जाती है।
राधौगढ़ के छोटे राजा लक्ष्मण सिंह ने बातचीत में कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी सरकार और पार्टी पर तीर चलाया। उन्होंने महाराष्ट्र में गठबंधन को गलत करार देते हुए कहा कि जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया था। हमें विपक्ष में बैठकर सही समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए था। उन्होंने कबीर का उदाहरण देते हुए कहा कि रहमन चुप ही बैठिए देख, दिनन के फेर…उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां एक आइडियोलाजी पर काम करती हैं। कांग्रेस की भी अपनी आइडियोलाजी है। इस तरह आइडियालाजी से समझौता करेंगे तो हमारा जनाधार ही नहीं बचेगा। उन्होंने साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कांग्रेस की प्रतिक्रिया को भी गलत बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस तरह बोलकर भाजपा के जाल में फंस रही है। उन्होने मप्र सरकार द्वारा आदिवासियों की जमीन के डायर्वसन का फैसला लेने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन का डाइवर्सन न होने का कानून इंदिरा जी ने बनाया था, ताकि कोई व्यक्ति आदिवासियों की जमीन खरीदकर बेच न सके। इस कानून को मध्यप्रदेश के किसी भी सीएम ने आज तक नहीं बदला, अब सरकार ने इस कानून को बदलकर आदिवासियों की नाराजगी मोल ले ली है।