अन्नदाता के आक्रोश से जला एमपी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 7 जून। राज्य सरकार की उम्मीदों के विपरीत मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन बुधवार को और उग्र हो गया। अन्नदाता के आक्रोश से पूरे प्रदेश जल उठा। मंगलवार को मंदसौर में पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत के बाद सरकार ने देर रात मुआवजे की रकम बढ़ाकर एक एक करोड़ कर दी। इसके बाद भी बुधवार की सुबह शुभ नहीं रही। आंदोलनकारी किसान सड़कों पर उतर आए और हिंसात्मक हो गए। मंदसौर, नीमच, रतलाम जिलों में कई स्थानों पर आगजनी की घटनाएं हो गईं। भोपाल इंदौर के बीच आंदोलनकारियों ने चार्टड वाल्वो बसों में आग लगा दी।
किसान आंदोलन को लेकर राज्य सरकार का इंटेलीजेंस फिर बुरी तरह से फेल हुआ है। मंगलवार को देर रात मुआवजे की राशि एक करोड़ कर दिए जाने के बाद सरकार ने राहत की सांस ली थी। लेकिन सरकार का गुप्तचर विभाग यह आकलन करने में नाकाम रहा कि इसके बावजूद स्थितियां बिगड़ सकती है। बुधवार सुबह से कांग्रेस के तमाम नेता भी सक्रिय हो गए। कांग्रेस सहित अन्य संगठनों ने आधे दिन के बंद का ऐलान किया था। इसके कारण आक्रोश बढ़ गया और सरकार समझ नही पाई। मंदसौर में मारे गए पांच किसानों में से चार का अंतिम संस्कार हो गया लेकिन एक किसान के परिजन और किसान लाश लेकर सड़क पर आ गए। उन्हें समझाइश देने मौके पर पहुंचे कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह के साथ भीड़ हाथापाई कर दी। उसके बाद पुलिस और सीआरपीएफ ने मोर्चा संभाला लेकिन स्थितियां और बिगड़ गईं। आक्रोशित किसानों ने जगह जगह प्रदर्शन किए और वाहनों तथा सरकारी संपत्तियों को आग के हवाल कर दिया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि कैबिनेट की आपातकालीन बैठक बुलाकर किसानों के हित में कई फैसले कर डाले, लेकिन तब आग प्रदेश के अन्य हिस्सों में फैल गई और पूरा प्रदेश जलने लगा। भोपाल इंदौर के बीच चार्टड बसों को रोककर उनमें आग लगा दी गई। कई बसों मे सवारियों के फंस जाने से स्थिति काफी गंभीर हो गई। लेकिन कहीं किसी के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।
आंदोलन और बंद के कारण सब्जियों और दूध की सप्लाई पर भी असर पड़ा है। अस्पतालों के आसपास भी पुलिस बल तैनात किया गया है। आम आदमी पार्टी ने बंद का समर्थन किया है। इस बीच भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी ने कहा कि, मंदसौर में 6 नहीं, 8 किसान पुलिस की गोली से मारे गए हैं। सरकार आंकड़ा छुपा रही है। पुलिस ने खुद गाड़ियों में आग लगाई। वहीं मंदसौर कलेक्टर ने कहा कि, आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्व घुस आए हैं। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आखिरकार मान लिया है कि मंदसौर में पुलिस के फायरिंग से ही किसानों की मौत हुई। इसके पहले गृह मंत्री लगातार इंकार कर रहे थे कि मौंते पुलिस की गोली से हुई हैं। यह माना जा रहा है कि आंदोलन को शांत करने की तमाम कोशिशें इसी तरह की छोटी छोटी गलतियों के कारण नाकाम हो रही हैं।