अधर में अटका मंत्री नरोत्तम मिश्रा का मताधिकार
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 13 जुलाई। पेड न्यूज के मामले में चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए गए मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने पर अभी भी संशय बना हुआ है। इस मामले में चुनाव आयोग के फैसले पर स्थगन आदेश की मांग वाली डा मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
यह मामला बीते एक पखवाड़े से अदालतों के फैसले का इंतजार कर रह है। मंत्री मिश्रा चाह रहे हैं कि 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग से पहले उन्हें चुनाव आयोग के फैसले पर स्थगन आदेश मिल जाए ताकि वे मतदान में भाग ले सकें। इसके लिए उन्होंने पहले मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें वहां से स्टे नहीं मिला। खंडपीठ में दो पेशियों के बाद मामला हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में जबलपुर पहुंच गया। लेकिन तमाम कारणों से हाईकोर्ट ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट भेज दिया। हाईकोर्ट ने डा मिश्रा को अंतरिम राहत देने के लिए तत्तकाल सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही पेशी के बाद मामले को कई निर्देशों के साथ दिल्ली हाईकोर्ट भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मूल मामले के मुख्य याचिका कर्ता राजेंद्र भारती से कहा था कि वे दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के पास जाकर उनसे पीठ के गठन का अनुरोध करें। सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट को सलाह दी थी कि वह इस मामले की सुनवाई 13 जुलाई से ही शुरू करे और राष्ट्रपति चुनाव के पहले अपना फैसला दे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्वोच्च अदालत की सलाह पर मामले की सुनवाई तुरंत शुरू कर दी। लेकिन सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अब इस मामले में ज्यादा उत्सुकता बढ़ गई है, क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटर लिस्ट 13 जुलाई को फाइनल होनी थी। लिस्ट बनने तक डा मिश्रा को स्टे नहीं मिला, इसलिए उनका नाम सूची में न होने की संभावना अधिक है। लेकिन कोर्ट मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है और अगर वह 14 जुलाई को नरोत्तम मिश्रा के पक्ष में फैसला देती है तो क्या सूची में संशोधन होगा अथवा अनुपूरक सूची चुनाव आयोग को तैयार करनी पड़ेगी।