सीधी कांड में सीएम का बड़ा दांव, पीड़ित के पैर धोए
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 6 जुलाई। मध्यप्रदेश की सियासत में हंगामा मचा देने वाले सीधी पेशाब कांड में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा सियासी दांव खेलकर विपक्ष का मुंह बंद कर दिया। मुख्यमंत्री ने आरोपी को जेल भिजवाने और उसका घर तुड़वा देने के बाद पीड़ित आदिवासी दशमत को सीएम हाउस बुलाकर उससे मांफी मांगी औऱ उसके पैर धोए। साथ ही उसका शाल उढ़ाकर सम्मान किया और भोजन कराया। सीएम के इस दांव की विपक्ष के पास कोई काट नहीं बची है।
मुख्यमंत्री ने पीडित आदिवासी दशमत को सीएम हाउस बुलवाकर सम्मान किया और क्षमा मांगी। उन्होंने दशमत की पत्नी से फोन पर चर्चा कर उनसे भी क्षमा मांगी। सीएम ने कहा कि भाई दशमत के साथ अन्याय हुआ मेरा मन दर्द, पीड़ा और व्यथा से भर गया। इसलिए मैंने दशमत को यहां बुलाया क्योंकि मन गहरी वेदना से भरा हुआ था। मन में बहुत तकलीफ थी कि एक बहुत अमानवीय घटना हमारे भाई के साथ घटी मैं व्यथित था और मैं अंतरात्मा से मानता हूं गरीब ही हमारे लिए पूज्य है और उसका अपमान मतलब हम सबका अपमान है।मन की व्यथा और पीड़ा कम करने के लिए मैंने आज दशमत को यहां बुलाया मैंने दशमत के पैर धोए, पानी माथे से लगाया। ताकि मेरी व्यथा और दर्द कम हो सके। मन में जो पीड़ा थी उस पीड़ा को मैं कम कर सकूं।जो अपराध करता है, अन्याय करता है उसका कोई धर्म नहीं होता, कोई जाति नहीं होती, कोई पार्टी नहीं होती। इसलिए जिसने अन्याय किया उस को कड़ी सजा और जिसके साथ अन्याय हुआ उसको कलेजे से लगाकर उसकी पीड़ा भी कम करने की कोशिश...!मैं प्रदेशवासियों से भी अपील करना चाहता हूं हम सभी के प्रति और विशेषकर, गरीबों के प्रति हमारे ऐसे भाई - बहनों के प्रति हम मानवीयता, करुणा, प्रेम, दया और संवेदना से भरे रहें।क्योंकि एक ही चेतना के तो अंश हैं हम सब, उसी एक भगवान ने हम सभी को बनाया है तो इंसान - इंसान में कैसा भेद। हम कोई भेद ना करें, सम्मान और सुरक्षा गरीब के लिए भी जरूरी है आत्मसम्मान गरीब का भी है। उसको हम बनाए रखें और यह संदेश भी शासन और प्रशासन को, दशमत का पैर धोना चरण धोना एक संदेश भी है गरीबों के साथ में किस संवेदना के साथ उनकी सेवा करता हूं। कोई गड़बड़ करेगा तो उसे कठोरतम सजा मिलेगी।ऐसे लोगों को भी यह संदेश है और जनता शासन-प्रशासन सभी को भी यही संदेश है कि गरीबों का सम्मान और उनका स्थान भी हम सुरक्षित रखें। दशमत मेरा साथी है, मेरा भाई है हर परिवार की जो जरूरतें होंगी, आवश्यकताएं होंगी उसका भी ध्यान रखेंगे। और उनके सम्मान और सुरक्षा की भी चिंता करेंगे।मेरे मन में सहज भाव आया मैं कोई भगवान कृष्ण जैसा नहीं हूं लेकिन मुझे लगा मेरा भाई आया है तो मैं प्रेम से उसे गले लगाऊं और उसे सम्मान देने की कोशिश करूं यही भाव मेरे मन में था।