कमलनाथ दिग्गी का प्लान: राज्यसभा और मणिपुर की तर्ज पर सरकार बनाएंगे

Jun 21, 2020

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 21 जून। राज्य सभा चुनाव में उम्मीद से अधिक वोट मिलने और मणिपुर में सत्ता के रिवर्स स्विंग ने मध्यप्रदेश में सत्ता में वापसी की राह देख रही कांग्रेस में दम भर दी है। सिंधिया की बगावत के चलते सत्ता जाने के बाद कांग्रेस के नेता निरुत्साहित हो गए थे, लेकिन इन दोनों घटनाओं ने नेताओं को सत्ता में वापसी के लिए उत्साहित कर दिया है। उपचुनावों के बहाने पार्टी इस लाइन पर काम करने में जुट गई है।

मणिपुर विधानसभा में 2017 के चुनाव में ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी थी। 28 विधायकों के साथ कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि, बीजेपी के पास 21 विधायक थे लेकिन बाद में बीजेपी सभी गैर कांग्रेसी विधायकों को एकजुट कर सरकार बनाने में सफल रही थी। अब मणिपुर में रिवर्स स्विंग से कांग्रेस एक बार फिर राज्य में सरकार बना रही है। मणिपुर में बीजेपी के तीन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने तथा एक निर्दलीय विधायक समेत कुल 6 अन्य विधायकों द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद राज्य की बीजेपी की गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई है।

अब मध्य प्रदेश को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। कहा जा रहा है कि कमलनाथ अपने रिवर्स स्विंग से सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं। शुक्रवार को राज्य सभा की तीन सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही दो सीटें जीत ली हों लेकिन एक बाद चौकाने वाली सामने आई है। राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 92 विधायक हैं, इसके बावजूद कांग्रेस को 93 वोट मिले हैं। शुक्रवार को राज्य सभा चुनाव के लिए मतदान से पहले कमलनाथ ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा कि बीजेपी 2 सीट अपने बल पर नहीं, सौदे के बल पर जीतेगी। सौदे में माहिर ये लोग राजनीतिक व्यापारी हैं। बीजेपी सौदेबाज़ी नहीं करती तो हम दोनों सीटें जीतते। बीजेपी उपचुनाव की चिंता करे, हम 22 सीटें जीतें और हो सकता है कि जो हालत है उस हिसाब से 24 सीटें भी जीत सकते हैं।

वही सूत्रों की माने तो कमलनाथ उपचुनाव से पहले ही बीजेपी को पटखनी देने की तैयारी में हैं। सूत्रों ने कहा कि अभी तक कमलनाथ और कांग्रेस के बड़े नेता राज्य सभा चुनाव में लगे हुए थे। पार्टी के नेताओं को डर था कि बीजेपी तीन सीटें जीतने के लिए बड़े स्तर पर कोई षड्यंत्र न रचे। इसलिए सभी विधायकों से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह लगातार संपर्क बनाये हुए थे।

वही अब सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए पूर्व विधायकों को अपनी उम्मीदें पूरी नहीं होती दिख रहीं। उन्हें लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से सिंधिया को तो राज्य सभा मिल गई और वे मंत्री भी बन जाएंगे लेकिन उन्हें उपचुनाव में बीजेपी टिकिट भी देगी या नहीं इस पर अभी कुछ कह पाना मुश्किल है। कमलनाथ जिस भरोसे के साथ उपचुनाव में 20 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं, उससे लगता है कि सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को टिकिट न मिलने की दशा में कमलनाथ ने उनके लिए रास्ता खुला रखा है। जिससे उन्ही पूर्व विधायकों को सिंधिया के खिलाफ चुनाव प्रचार में लगाया जा सके।

मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले नहीं रहे। पहले से तय परिणाम के अनुसार कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी राज्यसभा के लिए चुन लिए गए। परिणाम भले ही चौंकाने वाले न हों लेकिन प्रत्याशियों को मिले वोटों की संख्या ने सियासी हलचल मचा दी है। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पहले वरीयता क्रम पर रखे गए दिग्विजय सिंह ने आधिकारिक 52 वोटों की तुलना में 57 वोट हासिल किए। उन्हें भाजपा में पहली वरीयता प्रत्याशी ज्योतिरादित्यि सिंधिया से भी एक वोट ज्यादा मिला।