उज्जैन सिंहस्थ का मिथक देता है एमपी में बीजेपी सरकार आने का संकेत

Sep 30, 2023

सुमन त्रिपाठी

भोपाल, 30 सितंबर। मध्यप्रदेश में इस बार किसकी सरकार बनेगी, इस समय यह मध्यप्रदेश की सियासत का सबसे बड़ा सवाल है। इस बार मध्यप्रदेश के राजनैतिक हालात ऐसे हैं कि इसका दमदारी से जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। ऐसे में उज्जैन में हर 12 साल बाद भरने वाले सिंहस्थ महाकुंभ से जुड़ा एक मिथक मध्यप्रदेश में इस बार भी बीजेपी की सरकार आने का संकेत दे रहा है। सिंहस्थ का मिथक है कि मध्यप्रदेश के गठन से लेकर आज तक सभी सिंहस्थ के आयोजन की जिम्मेदारी गैर कांग्रेसी सरकारों को ही मिली है। अगला सिंहस्थ अप्रैल 2028 में होना है और मध्यप्रदेश में अगला चुनाव नवंबर 2028 में है। इसलिए मिथक का संकेत है कि 2023 में बीजेपी के सरकार बनेगी जो अप्रैल 28 में सिंहस्थ कराएगी। सिंहस्थ कराने वाला मुख्यमंत्री अपने पद से हट जाता है, यह मिथक भी आज तक बरकरार है।

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। सत्तारूढ़ बीजेपी फिर से सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है...वहीं ड़ेढ़ साल में ही सरकार गिर जाने के सदमे से आज तक नहीं उबर सके कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ किसी भी हालात में इस बार कांग्रेस को सत्तारूढ़ करना चाहते हैं। इस बार सरकार के खिलाफ एंटीइनकम्बेंसी और कांग्रेस की मैदानी मजबूती को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक भी दावे के साथ कुछ नहीं कह पा रहे हैं। ज्योतिषीय गणनाएं करने वाले भी गोलमाल जवाब ही दे रहे हैं। ऐसे में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ का मिथक बीजेपी सरकार की सत्ता में वापसी का संकेत दे रहा है। मध्यप्रदेश के गठन के बाद से आज तक सिंहस्थ का आयोजन गैर कांग्रेसी सरकारों को ही कराने का मौका मिला है, जबकि करीब 67 साल के मध्यप्रदेश में अधिकतम समय कांग्रेस का शासन रहा है। मध्यप्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था और पहली सरकार कांग्रेस की ही बनी थी। लेकिन सिंहस्थ मेला प्रदेश के गठन के करीब 6 महीने पहले ही संपन्न हो गया। इसलिए सरकार को सिंहस्थ के आयोजन का मौका नहीं मिला। अगला सिंहस्थ 1968 में आयोजित किया गया। उस समय मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार टूटकर गैर कांग्रेस संविद सरकार कार्यरत थी। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की लीडरशिप में बनी सरकार में मुख्यमंत्री डा गोविंद नारायण सिंह थे। यह सिंहस्थ भी गैर कांग्रेसी सरकार के जिम्मे चला गया। इसके बाद अगला सिंहस्थ अप्रैल 1980 में पड़ा। सिंहस्थ आयोजन के कुछ माह पहले तक भाजपा की सरकार थी और सुंदरलाल पटवा सीएम थे। लेकिन सिंहस्थ के समय पटवा सरकार बर्खास्त कर दी गई और राष्ट्रपति शासन लग गया। इसलिए यह सिंहस्थ भी गैर कांग्रेसी सरकार को कराने का मौका मिला। इसके बाद का सिंहस्थ 1992 में पड़ा, तब फिर मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन चुकी थी। पिछले सिंहस्थ के आयोजन से वंचित रह गए सुंदरलाल पटवा इस बार सीएम के रूप में सिंहस्थ का आयोजन कराने वाली सरकार के मुखिया थे। इसके बाद सिंहस्थ का आयोजन 2004 में हुआ और तब एक फिर मध्यप्रदेश में उमा भारती की अगुवाई में गैर कांग्रेसी सरकार थी। सिंहस्थ की सारी तैयारी कांग्रेस के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कराई थी लेकिन नवंबर 2003 में उनकी सरकार गिर गई और सिंहस्थ के आयोजन का पुण्य भाजपा सरकार और उसकी सीएम सीएम उमा भारती को मिला। इसके बाद का सिंहस्थ 2016 में आयोजित हुआ औऱ भाजपा सरकार के सीएम के रूप में शिवराज सिंह चौहान को इसका श्रेय गया। इस प्रकार अब तक के सभी सिंहस्थ का आयोजन गैर कांग्रेसी सरकारों ने किया है। कांग्रेस को कभी सिंहस्थ कराने का मौका नहीं मिला। इस मिथक से संकेत मिलता है कि अप्रैल मई 2028 में पड़ने वाला सिंहस्थ भी गैर कांग्रेसी सरकार कराएगी। इसलिए यह माना जा रहा है कि 2023 में बीजेपी की सत्ता में वापसी हो रही है ताकि वह 2028 का सिंहस्थ करा सके। अगर कांग्रेस की सरकार बन भी जाती है तो मिथक के अनुसार अप्रैल मई 2028 के पहले गैर कांग्रेस सरकार बन जाएगी।

सिंहस्थ का एक मिथक यह भी है कि सिंहस्थ कराने वाला सीएम अपनी कुर्सी पर नहीं रह पाता है। साल 1968 में सिंहस्थ कराने वाले गोविंद नारायण सिंह को कुछ समय बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद 1992 में सिंहस्थ कराने वाले सुंदरलाल पटवा को सिंहस्थ के करीब 6 माह बाद ही कुर्सी छोड़नी पड़ी। बाबरी मस्जिद विध्वंस के चलते उनकी सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इसके बाद 2004 में सिंहस्थ कराने वाली सीएम उमा भारती को सिंहस्थ के कुछ महीने बाद ही राजनैतिक विवाद के चलते इस्तीफा देना पड़ा। उनके बाद 2016 में सिंहस्थ कराने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान को अगले चुनाव 2018 में पार्टी के चुनाव हार जाने के कारण कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। वहीं सिंहस्थ कराने वाली सरकार की सत्ता में वापसी न होने का मिथक भी बना है। संविद सरकार 1968 के बाद सत्ता से बाहर हो गई। इसी तरह 1980 में भाजपा सरकार सत्ता से बाहर हो गई। उसके बाद 1992 में भी सिंहस्थ कराने वाली बीजेपी राममंदिर की लहर के बाद भी चुनाव हार गई। यह मिथक 2008 में जरूर टूटा, जब 2004 का सिंहस्थ कराने वाली सीएम उमा भारती को कुर्सी भले छोड़नी पड़ी लेकिन सिंहस्थ कराने वाली बीजेपी शिवराज सिंह की अगुवाई में 2008 में सत्ता में वापस आ गई। हालांकि 2018 में एक बार फिर यह मिथक सही साबित हुआ। शिवराज सिंह की अगुवाई में 2016 में सिंहस्थ कराने वाली बीजेपी सरकार अगले चुनाव 2018 में सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन करीब डेढ़ साल बाद सरकार की सत्ता में वापसी जरूर हो गई। एक बार फिर मध्यप्रदेश में चुनाव है इसलिए इन सारे मिथकों का सियासी विश्लेषण किया जा रहा है।