मन्नत पूरी होने पर इस मंदिर में करवाया जाता है बेड़नियों का नृत्य

Mar 25, 2019

खरी खरी संवाददाता

अशोकनगर, 25 मार्च। मध्यप्रदेश का छोटा सा जिला अशोकनगर अपने आप में कोई विशेष पहचान नहीं रखता है। लेकिन रंगपंचमी के मौके पर इसकी ख्याति सिर्फ मध्यप्रदेश नहीं बल्कि आसपास के राज्यों में भी फैल जाती है। इसका कारण है यहां करीला स्थित जानकी मंदिर में लगने वाला मेला। इस मेले की खासियत यह है कि यहां मानी गई मन्नत पूरी होने पर भक्त बेड़नियों (बुंदेलखंड की पारंपरिक नृत्यांगनाएं) का नाच करवाते हैं। मेल रंगपंचमी को पूरी रात चलता है और पूरी रात लगातार नृत्य चलता रहता है।

करीला का मेला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मेला है और इसमें 15 से 20 लाख भक्त शामिल होते है। मान्यता है कि माता सीता जी ने लव कुश को यहीं जन्म दिया था और तब स्वर्ग से आकर अप्सराओं ने यहा बधाई नृत्य किया था तब से लेकर आज तक भक्त यहा पर अपनी मन्नत पुरी होने पर नृत्यांगनाओं से राई नृत्य करवाते हैं। मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और उत्तरप्रदेश  से भी लोग यहा दर्शन करने आते है इस मंदिर में सीता लव कुश की मूर्ति है राम की मूर्ति नहीं है।यहां पहुचने के लिए चारो तरफ से वाहनों की कतार लगी रहती है । एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का जाना शुरू हो जाता है ।

सीता माता के इस मंदिर में यह मान्यता प्रचलित है कि यदि मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। इसके बाद लोग श्रद्धा के साथ यहां राई और बधाई नृत्य करवाते हैं। इसके लिए बेड़िया जाति की महिलाएं करीला मंदिर में नृत्य करती हैं। इस मंदिर में ही माता जानकी के साथ ही वाल्मीकि और लव-कुश की भी प्रतिमाएं हैं।

लवकुश और माता सीता के इस मंदिर में निःसंतान दंपती की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। उनकी झोली भर जाती है। इसके बाद उन्हें यहां बेड़निया नचाना होता है। 

इस मंदिर के बारे में वर्षों पुरानी एक कथा आज भी प्रचलित है। यहां के लोगों का मानना है कि विदिशा जिले के ग्राम दीपनाखेड़ा के महंत तपसी महाराज को एक रात सपना आया कि करीला ग्राम में एक टीले पर स्थित आश्रम है, जिसमें माता जानकी और लवकुश कुछ समय तक रहे थे। यह वाल्मीकि आश्रम वीरान पड़ा है, जिसे जागृत करो। दूसरे दिन सुबह ही महाराज ने करीला पहाड़ी पर देखा तो वहां एक वीरान आश्रम था।वे खुद ही साफ-सफाई में जुट गए और उन्हें देख सैकड़ों लोग इसकी सफाई व्यवस्था में जुट गए। देखते ही देखते आश्रम निखर आया। यहां के लोग मंदिर से भभूति भी लेकर जाते हैं। माना जाता है कि यह खेत में कीटाणु नाठक और इल्लीनाशक का भी काम करती है। किसान मानते हैं कि इस भभूति को फसल पर डालने से चमत्कारी ढंग से इल्लियां गायब हो जाती हैं। किसान हर साल यहां की भभूति को अपनी फसल में डालते हैं। अशोकनगर जिले की तहसील मुंगावली में है करीला गांव। यहां दुनिया का एक मात्र सीता माता का मंदिर है। राम मंदिर में तो श्रीरामचंद्रजी के साथ सीतामाता की मूर्ति होती है, लेकिन इस मंदिर में खास बात यह है कि यहां सिर्फ और सिर्फ सीता माता की ही मूर्ति विराजमान है। हर साल करीला में तीन दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में लोगों की श्रद्धा इतनी है कि यहां हर साल करीब 15-20 लाख लोगों के माता जानकी के दरबार में मन्नतें लेकर आने की उम्मीद रहती हैं।

Category: