धोखाधड़ी की एफआईआर हुई तो महामंडलेश्वर मंदाकिनी ने खा लिया जहर
खरी खरी संवाददाता
उज्जैन, 8 मई। महामंडलेश्वर अथवा राज्यपाल बनवाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी का आरोप लगने के बाद निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मंदाकिनी माता ने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की है। उन्हें इलाजे के उज्जैन के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मंदाकिनी और उनके दो सहयोगियों के खिलाफ उज्जैन के चिमनगंज मंडी थाने में धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती उसके पहले ही उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। महामाया को निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया।
उज्जैन के थाना चिमनगंज क्षेत्र में मंगलनाथ मंदिर के सामने महामाया आश्रम में रहने वाले सुरेश्वरानंद महाराज एक शिकायती आवेदन लेकर थाने पहुंचे थे। जिसमें बताया गया था कि श्री निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी और एक अन्य हरिद्वार निवासी अश्विन ने साथ मिलकर मुझसे 7.50 लाख लिए थे। लेकिन, न तो मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया और न ही मेरे द्वारा दी गई यह राशि लौटाई गई। इस आवेदन के बाद पुलिस ने महामंडलेश्वर मंदाकिनी पूरी और अश्विन के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 में प्रकरण दर्ज कर लिया था। पुलिस मंदाकिनी पुरी को गिरफ्तार कर पाती, इसके पहले उन्होंने जहरीला पदार्थ खा लिया। अब इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रूआब और रुतबे में अपने आपको सभी से अलग बताने वाली महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी का बात करने का तरीका कुछ ऐसा था कि कई भोले भाले लोग उनकी बातों में फंस जाते थे और यह विश्वास कर लेते थे कि वास्तविकता में मंदाकिनी पुरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को न सिर्फ जानती हैं, बल्कि उनसे अच्छे संबंध भी हैं।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी महाराज और पुलिस के पास पहुंच रहे लोगों के माध्यम से इस तरह की बातें पता चल रही है। बताया जा रहा है कि जो लोग मंदाकिनी पुरी के मायाजाल में फंस गए उन्हें लाखों की चपत लगी है। मोन तीर्थ पीठ के महामंडलेश्वर सुमनानंद महाराज ने आरोप लगाया कि महामंडलेश्वर मंदाकिनी मेरे पास आई थी। जिन्होंने मुझे यह ऑफर दिया था कि आप कहें तो मैं अमित शाह जी से बोल कर आपको राज्यपाल बनवा देती हूं। उसने मुझे यह भी प्रलोभन दिया था कि आप महामंडलेश्वर हैं आपको शेर की खाल पर बैठना चाहिए जब मेने शेर की खाल न होने का बात कही तो हरिद्वार से 5 लाख रुपये में शेर की खाल मंगवाने की बात भी मंदाकिनी ने कही थी। जबकि, महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा गिरी उर्फ वर्षा नागर ने मंदाकिनी पुरी पर यह आरोप लगाया कि वह उन्हें गो संवर्धन बोर्ड की अध्यक्ष बनवाना चाहती थी लेकिन, इसके लिए मंदाकिनी ने 35 लाख रुपए मांगे थे। इन दो महामंडलेश्वरों के साथ ही कथावाचक भगवान बापू को भी महामंडलेश्वर बनाने के नाम पर मंदाकिनी पुरी ने अपनी फीस 15 लाख रुपए बताई थी और झांसे में लेकर भगवान बापू से 1 लाख रुपये भी ले लिए थे। कुछ वर्षों पूर्व महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने और उसके बाद पिछले 2 वर्षों से साधु संतों के हर विवाद में मंदाकिनी पुरी का नाम सुनाई देने लगा। परमधाम आश्रम कहारवाड़ी में बोधानंद महाराज को हटाए जाने जाने के समय माता मंदाकिनी के साथ छेड़छाड़ की घटना हो या फिर कहारवाड़ी में ही साधु संतों के साथ हुए विवाद में प्रकरण दर्ज न होने पर मंदाकिनी माता के द्वारा महाकाल थाने के बाहर धरने पर बैठना और एसपी कार्यालय पर पहुंचकर भी प्रकरण दर्ज करने के लिए दबाव बनाना। इन विवादों के साथ ही महाकाल मंदिर के गर्भगृह में जाने से रोकने पर माता मंदाकिनी ने जमकर बखेड़ा खड़ा किया था और महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी को श्राप दिया था कि जब तक तुम इस मंदिर में प्रशासक हो तब तक मैं मंदिर में प्रवेश नहीं करूंगी।