देवी उपासना के कई केंद्र हैं मध्यप्रदेश में
देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश पर माता की विशेष कृपा है। एक ही राज्य में इतने उपासना केंद्र होना , इस बात का प्रमाण भी है। माँ पीताम्बरा पीठ दतिया, मैहर (सतना) का शारदा मां मंदिर, देवास की टेकरी वाली माता,भादवा माता( नीमच), रायसेन की कंकाली मां, माता परवलिया, राजगढ़ का जालपा धाम अद्भुत आस्था के प्रतीक हैं। सागर जिले के रानगिर के हरसिद्धी देवी मंदिर की भी विशेष मान्यता है.रायसेन से सांकल गुदावल पैदल यात्रा कर चुनरी चढ़ाने वाले भक्तों का जुनून हो या और दो दर्जन शक्ति केंद्रों पर नवरात्रि में उमड़े भक्त जन , इस वर्ष प्रिन्ट, टीवी और सोशल मीडिया पर ये ब्यौरा पढ़ने,देखने को मिला। हम सभी अवगत ही हैं कि हाल ही में दतिया आकर अपने राष्ट्रपति चुने जाने के पहले श्री रामनाथ कोविंद जी ने मां पीताम्बरा से प्रार्थना की थी।अनेक बार राष्ट्रीय स्तर के नेता दतिया आये हैं।राजमाता विजयराजे सिंधिया इस आस्था स्थल से भावनात्मक रूप से जुड़ी रहीं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और दतिया के विकास के लिए सदैव सक्रिय रहने वाले मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा भी मां पीताम्बरा के प्रति गहरी आस्था रखते हैं।इसमें कोई संदेह नही कि मां पीताम्बरा क़ी नगरी दतिया मध्यप्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है.तेजी से विकसित हो रहे दतिया क्षैत्र का अलग ही महत्व है.हवाई पट्टी बन जाने से दतिया तक इंदौर,दिल्ली,मुम्बई और कहीं से भी सीधे पहुंचा जा सकता है। मां पीतांबरा अर्थात बगलामुखी का स्वरूप ऐसा बताया गया है जिनके नेत्र करुणा से भरे हैं । वे अपने भक्तों और साधकों की शत्रुओं से रक्षा कर उसे हर तरह से संपन्न बनाती हैं इसीलिए माई को राज -राजेश्वरी भी कहा गया है। जिस तरह हर देवी देवता को कुछ खास द्रव्य और रंग पसंद होते हैं उसी तरह माई पीताम्बरा को पीला रंग पसंद है। उनकी पूजा,साधना और उपासना में पीले वस्त्रों, द्रव्यों का विशेष महत्व है।यह सत्य है कि वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध के समय यहां की यज्ञशाला में हुए विशेष अनुष्ठान के बाद चीन घबराकर रण क्षेत्र से वापस लौट गया था.जन मान्यता है कि माई के भक्त यहां दर्शन के बाद नई ऊर्जा से जीवन जीते हैं,लक्ष्य में पूरी तरह कामयाब होते हैं।
मध्यप्रदेश में पीतांबरा या बगलामुखी माई के दरबार दतिया,नलखेड़ा (शाजापुर),छतरपुर,सागर और हटा( दमोह)में भी हैं ।इनमें दतिया स्थित श्री पीतांबरा पीठ स्थित बगलामुखी मंदिर को विशेष सिद्ध पीठ का दर्जा प्राप्त है। दतिया में वनखंडी आश्रम में ब्रह्मलीन हो चुके राष्ट्रगुरु अनंत विभूषित श्रीस्वामीजी महाराज ने माई की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी.दतिया झांसी जंक्शन से सिर्फ तीस किमी की दूरी पर है. अधिकांश ट्रेन दतिया में भी रुकती हैं.शाजापुर के पास नलखेड़ा का बगलामुखी मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है और यहां माई की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है। छतरपुर में श्रीस्वामीजी महाराज के शिष्य शिवनारायण खरे ने श्रीस्वामीजी महाराज के सूक्ष्म दैवीय मार्गदर्शन में मंदिर का निर्माण कराया। जबलपुर में सिविक सेंटर में ज्योतिष एवं द्वारका पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बगलामुखी माई का मंदिर बनवाया।
कहते हैं , पीतांबरा माई को पीला रंग पसंद है .इसीलिए उनकी साधना में पीले रंग के वस्त्रों और द्रव्यों का विशेष महत्व है। माई की साधना पीत परिधानों में की जाती है। माई को अर्पित किए जाने वाले द्रव्य भी पीले रंग के ही होते हैं। विशेष प्रयोजन में हवन में पीली सरसों की आहुतियां दी जाती हैं और माई का जाप भी कुछ साधक हरिद्रा अर्थात पीली हल्दी की बनी माला से करते हैं। ज्यादातर साधक जाप के लिए कमलगटा से बनी माला का उपयोग करते हैं। माई का मंत्र 36 अक्षरों का है जो नियम,संयम,श्रद्धा और विश्वास से जाप करने वाले साधक को मनोवांछित फल देता है। आचार्यों के अनुसार माई के मंत्र का सवा लाख जाप करने पर सिद्ध हो जाता है। आचार्यों के अनुसार माई शत्रुओं का नाश करती हैं इसका आशय है कि माई साधक को भौतिक, दैहिक और दैविक संताप देने वाले शत्रुओं से रक्षा करती हैं। माई का प्रकटन सौराष्ट्र के हरिद्रा सरोवर से हुआ था। भगवान विष्णु द्वारा किए गए आह्वान पर माई ने प्रकट होकर भयंकर वातक्षोभ से पृथ्वी की रक्षा की थी। भगवान विष्णु पीतांबरा माई के प्रथम उपासक माने जाते हैं।मंदिर परिसर में मां धूमावती की प्रतिमा पर भजिए और कचौरी का प्रसाद चढा़ने की परम्परा है. दतिया में पूरा एक दिन आसानी से बिताया जा सकता है.यदि प्रसिद्ध जैन तीर्थ *सोनागिरी, *उनाव बालाजी* और टीकमगढ़ जिले में स्थित ओरछा का भी भ्रमण करना हो तब एक और दिन लगेगा। उनाव में सूर्य मंदिर है.दतिया जिले में ही *रतनगढ़* माता मंदिर का भी अलग महत्व है.यह ऊंची पहाड़ी पर बेहद घने जंगल के सुरम्य माहौल में स्थित है.दतिया में सिंधी हिंदु समुदाय का वो मदिर भी है जहां ज्योति प्रज्ज्वलित है।यह सिंधी समाज का भारत में अपनी तरह का एकमात्र श्रद्धा केंद्र है.यहाँ वार्षिक ज्योति स्नान पर्व भी मनाया जाता है।यहाँ हुजूरी राम दरबार मे देश विभाजन के समय सिंध से लाई गई अखंड ज्योति भी प्रज्जवलित है.इस तरह दतिया जिला कई आध्यात्मिक और धार्मिक विश्वासों का केंद्र है।
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