एएसआई की 2 हजार पेज की रिपोर्ट में भोजशाला में मंदिर होने के साक्ष्य
खरी खरी संवाददाता
इंदौर, 15 जुलाई। मध्यप्रदेश की अयोध्या कही जाने वाली धार की भोजशाला पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा साइंटिफिक स्टडी के बाद तैयार की गई करीब 2 हजार पेज की रिपोर्ट यह साबित करती है कि भोजशाला में मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट मप्र हाईकोर्ट की इंदौर बेंच को सौंप दी है। हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को करेगा।
हिंदू समुदाय भोजशाला को देवी वाग्देवी माता सरस्वती का मंदिर मानता है। वहीं दूसरे समुदाय का कहना है कि मुस्लिमों की कमाल मौलाना मस्जिद यहां हैं। इस विवाद को लेकर हिंदू फ्रंट फार जस्टिस (एचएफजे) नामक संगठन ने याचिका दायर की थी। याचिका पर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का सर्वे कराने के आदेश दिए थे। जिस पर एएसआई ने 22 मार्च को सर्वेक्षण शुरू किया और चार सप्ताह के विस्तार सहित 98 दिनों तक जारी रहा। सर्वेक्षण बिना रुके चला, यहां तक कि सार्वजनिक अवकाश के दिन भी नहीं रुका। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान एनजीआरआई ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम जीपीएस तथा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार जीपीआर जांच की अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में सर्वे में 1700 से ज्यादा पुरावशेष मिले है। दावा किया जा रहा है कि यहां 94 से ज्यादा क्षतिग्रस्त मूर्तियां बरामद की गई हैं। पूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एएसआई ने चार सप्ताह का समय मांगा था। इस पर हाईकोर्ट ने 15 दिन का समय देकर एएसआई को 15 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था। रिपोर्ट के आधार पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होनी है। भोजशाला का सच जानने के लिए एएसआई द्वारा किए गए इस सर्वे की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें लगी है। सर्वे के दौरान 1700 से ज्यादा पुरावशेष मिले है। इसमें भोजशाला की दीवार, पिलर के साथ ही खुदाई के दौरान 37 देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिली हैं।सबसे बड़ा सवाल यह है कि 23 साल पहले लागू की गई व्यवस्था को क्या हाईकोर्ट इस रिपोर्ट के आधार पर बदल देगा? इधर हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करता है कि यहां मंदिर था।