हिंदुत्व के एजेंडे पर यूपी के डीजीपी का कदमताल

Feb 04, 2018

लखनऊ। देश के अधिकांश हिस्सो में शासन कर रही भाजपा के पार्टी के पितृ संगठन आरएसएस के चिंतकों को हिंदुत्व के मुद्दे पर यूपी सरकार की पीठ जरूर थपथपानी होगी। यूपी की सरकार ने प्रदेश में ऐसा माहौल बना दिया है कि अब डीजी रैंक के पुलिस अधिकारी भी राम मंदिर बनाने का संकल्प ले रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में होमगार्ड के महानिदेशक सूर्यकुमार शुक्ला जी ने कुछ ऐसा ही करके बड़ा संदेश दिया है। पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ आनुषांगिक संगठनों ने एक सेमिनार करवाया, जिसका विषय था: राम मंदिर- समस्या और समाधान। पुलिस के सीनियर अफ़सर सूर्यकुमार शुक्ला को इस सेमिनार में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने सेमिनार में शामिल लोगों के साथ ऊँची आवाज़ में संकल्प लिया कि जल्द से जल्द राम मंदिर का भव्य निर्माण करवाया जाए और फिर उन्होंने नारा भी लगाया जय श्रीराम.. हंगामा मचा तो शुक्ला जी ने निर्विकार भाव से  कहा कि - "इसमें क्या ग़लत है? मैं राम मंदिर बनाने की बात ही तो कर रहा था। " इस सेमिनार में आमंत्रित शुक्ला जी अगर वहाँ संघ के स्वयंसेवकों की तरह ध्वज-प्रणाम कर भी लेते तो कौन सा आसमान टूट पड़ता? भगवा वस्त्र-धारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब पूरे प्रदेश की हर दीवार पोतकर भगवा करवाना चाह रहे हैं तो फिर रामभक्त होने का शौर्य सिर्फ़ सूर्यकुमार शुक्ला को ही क्यों मिले? क्या ये अवसर पुलिस की वर्दी पहने दूसरे अधिकारियों और सिपाहियों को नहीं मिलना चाहिए?

सोचिए क्या दिव्य दृश्य होगा कि हर थाने में रोज़ाना सुबह तमाम अधिकारीगण और सिपाही अपने अपने हथियार लेकर भगवा ध्वज के सामने संघ-प्रणाम की मुद्रा में खड़े हों और समवेत स्वर में संघ की प्रार्थना गाएं: नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे…. !

शुरुआत में कुछ 'सिकुलर' मीडिया वाले लोग ऐतराज़-आलोचना करेंगे पर उनसे पलट कर सवाल किया जा सकता है कि समाज की रक्षा में लगे पुलिसकर्मी भाइयों को क्या वत्सला मातृभूमि की आराधना करने का अधिकार नहीं है? संघ की प्रार्थना में ऐसा है ही क्या कि उसे थानों, सरकारी दफ़्तरों, सीआरपीएफ़ और सेना के बैरकों में नहीं गाया जा सकता? क्या राष्ट्र की आराधना करना कोई पाप है?

एक और सवाल पूछा जा सकता है- अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी हिंदुओं के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता है तो उसे क्यों रोका जाना चाहिए? अगर वो हिंदुओं की बात भारत में नहीं करेंगे तो क्या पाकिस्तान में करेंगे?