हरियाणा में संवैधानिक संकट के चलते विधानसभा भंग करने का फैसला
खरी खरी संवाददाता
चंडीगढ़, 11 सितंबर। नई विधानसभा के गठन के लिए चुनाव जारी रहने के बीच हरियाणा कैबिनेट ने वर्तमान विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी है। सीएम नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में विधानसभा को भंग करने के फैसले को मंजूरी दे दी गई है राज्यपाल से 13 सितंबर से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की गई है। कैबिनेट ने यह फैसला संवैधानिक संकट के चलते लिया है। विधानसभा की बैठक 6 महीने से नहीं हुई है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सदन की दो बैठकें के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। सरकार को 13 सितंबर के पहले या तो सत्र बुलाना था या फिर विधानसभा भंग करनी थी। चलते चुनाव के बीच सत्र बुलाना संभव नहीं था, इसलिए सरकार ने विधानसभा भंग करने का निर्णय लियाअगर सरकार विधानसभा को भंग करने कि सिफारिश नहीं करती तो 13 सितंबर को विधानसभा भंग करने का फैसला लेना पड़ता।
हरियाणा ही नहीं बल्कि संभवतः देश के इतिहास मे पहली बार किसी राज्य की विधानसभा इस तरह भंग हुई है। हरियाणा में संवैधानिक संकट के चलते राज्य में विधानसभा को चुनाव से पहले भंग करने की नौबत आन पड़ी। संवैधानिक मामलों के जानकार राम नारायण यादव ने बताया कि हरियाणा में पिछला विधानसभा सत्र 13 मार्च को हुआ था। एक दिवसीय सत्र में सीएम नायब सिंह सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। संविधान के मुताबिक अगला सत्र छह महीने के अंदर होना चाहिए था, छह महीने का समय 12 सितंबर को पूरा हो गया लेकिन सरकार सत्र नहीं बुला सकी। ऐसे हालात में सरकार के पास विधानसभा को भंग करने का सिंगल ऑप्शन ही रह जाता है।विधानसभा भंग होने के बाद राज्यपाल कैबिनेट को अगली सरकार बनने तक केयर टेकर के तौर पर बने रहने को कहते हैं। विधानसभा भंग हो चुकी है, ऐसे हालातों में कैबिनेट तो बनी रहेगी, लेकिन विधायकों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। इसलिए 13 तारीख के बाद डिप्टी स्पीकर और विधायकों को मिलने वाली सारी सुविधाएं ख़त्म हो जाएंगी। विधानसभा अध्यक्ष अगले अध्यक्ष का चुनाव होने तक अपने पद पर माना जाता है। इस तरह स्पीकर फुलफ्लैस स्पीकर बने रहेंगे, लेकिन सीएम 13 सितंबर से ही कार्यवाहक सीएम हो जाएंगे।
बता दें कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए पांच अक्टूबर को मतदान होगा और नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। प्रदेश में एक ही चरण में चुनाव होगा। सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटी हैं। बीजेपी पिछले 10 साल से हरियाणा की सरकार चला रही है।