स्मार्टनेस का मुखौटा ओढ़े समाज से हार जाता है प्रेमी जोड़ा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। स्मार्ट सिटी, स्मार्ट फोन और स्मार्ट रहन-सहन और स्मार्ट समाज आज की युवा की सोच बन चुकी है। पर क्या समाज अपनी सोच से भी स्मार्ट बन पाया या नहीं, इस पर आज भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति को बयां करता नाटक ‘रोमियो जूलिएट’ इन डार्क सिटी आफ कंटेम्पररी इंडिया’ का मंचन शहीद भवन के सभागार में सौरभ अनन्त के निर्देशन में किया गया। मुम्बई के अंतर्गत ‘संहिता मंच-19’ नाट्य महोत्सव का तीन दिवसीय आयोजन किया जा रहा है। ‘रोमियो जूलिएट’ इन डार्क सिटी आफ कंटेम्पररी इंडिया’, व कबाब व राधेय का मंचन किया जाएगा। जिसमें पहले दिन विहान ड्रामा वर्क्स और बीइंग एसोसिएशन द्वारा ‘रोमियो जूलिएट’ इन डार्क सिटी आफ कंटेम्पररी इंडिया’ का मंचन किया गया।
नाटक की कहानी-
यह नाटक रोमियो जूलिएट-इन स्मार्ट सिटी आफ कंटेम्पररी इंडिया देश के स्मार्ट कहे जाने वाले शहरों के उस समाज का चेहरा है जो स्मार्टनेस का मुखौटा भर पहने हैं। जहां वास्तव में न तो कोई सभ्यता होती है और न ही कोई सद्भावना। नाटक की कहानी के दोनों प्रमुख पात्र वैभवी और मृदुल जयपुर जैसे स्मार्ट कहे जाने वाले शहर में रहते हैं। दोनों नई सोच के युवा हैं और काल सेंटर में काम करते हैं। एक साथ काम करते करते दोनों के बीच प्यार हो जाता है। दोनों शहर की एक ही कालोनी में अलग अलग घर में किराए से रहते हैं। दोनों के ही मकान मालिकों की सख्त हिदायत है कि उनके घर में कोई अन्य महिला या पुरुष का आना-जाना नहीं होना चाहिए। इस बंदिश के चलते मृदुल और वैभवी एक दूसरे के कमरे में आ नहीं पाते हैं। उन्हें अपने प्यार के लिए बिल्कुल जगह नहीं मिलती है। दोनों मिलकर प्लान बनाते हैं कि चुपचाप कैसे मृदुल के कमरे पर मिल सकते हैं। कालोनी के कुछ तापसी तत्वों ने भोले भक्त मंडल नाम से एक संगठन बना रखा है। इस संगठन को स्थानीय और राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। चंदे के मुद्दे पर उनका मृदुल से झगड़ा हो चुका है। इसके चलते संगठन वाले इस ताक में रहते हैं कि कब मृदुल को नुकसान पहुंचाया जाए। उन्हें इस बात की भनक लग जाती है कि वैभवी और मृदुल आपस में मिलते हैं। एक दिन जब वैभवी मृदुल के कमरे पर होती है तो संगठन वाले उसके कमरे पर धावा बोल देते हैं और घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाते हैं। सभी लोग धर्म, समाज, नैतिकता का हवाला देकर दोनों के साथ मारपीट कर उन्हें प्रताड़ित करते हैं। मृदुल का मकान मालिक मेहता भी उनका पूरी तरह साथ देता है। इससे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित वैभवी और मृदुल जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लेते हैं। स्मार्टनेस का मुखौटा ओढ़े समाज से सच्चा प्यार करने वाला युगल हार जाता है।