सूचना आयोग ने दो अफसरों पर ठोंका ढाई ढाई लाख का जुर्माना
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 12 अगस्त। मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने उमरिया जिले की चंदिया नगर पालिका के दो अधिकारियों विनोद चतुर्वेदी और नरेंद्र कुमार पांडे पर ढाई-ढाई लाख का जुर्माना किया है। इन अफसरों ने दस मामलों में समय पर जानकारी नहीं दी और आयोग के निर्देशों का भी गंभीरता से जवाब नहीं दिया।
यह मामला सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी के यहां चल रहा था। अपीलार्थी अनुपम मिश्रा ने मार्च 2016 में एक-एक बिंदु पर जानकारी के दस अलग-अलग आवेदन दिए थे। ये जानकारियां देने योग्य थीं, लेकिन तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी नरेंद्र कुमार पांडे ने तीस दिन की तय सीमा में जानकारी नहीं दी और न ही कोई निर्णय लिया। प्रकरण को अनावश्यक लंबित रखा। यहां तक कि जुलाई 2016 में प्रथम अपील आदेश के बावजूद उन्हें जानकारी नहीं मिली। दूसरी अपील में आयोग के आदेश की अवहेलना का दोषी लोक सूचना अधिकारी विनोद चतुर्वेदी को पाया गया है, जिन्होंने खुद पेश होने की बजाए अपने प्रतिनिधि के जरिए कुछ प्रकरणों में अपीलार्थी को जानकारी देने का प्रमाण भेजा, लेकिन वे यह स्पष्ट करने में असफल रहे कि प्रकरण के निराकरण में तीन वर्ष से अधिक का विलंब क्यों हुआ? ऐसा क्या था, जिसकी वजह से जानकारी नहीं दी गई।
आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने लोक सूचना अधिकारी की सुविधा के लिए उनसे जुड़े कई केस एक साथ लगाए ताकि एक ही बार के आवागमन में इनका निराकरण संभव हो सके। पिछली दो सुनवाइयों में उनका रवैया बेहद निराशाजनक रहा। तीसरी बार उन्होंने अपने प्रतिनिधि को एक रसीद देकर रवाना कर दिया। अपने आदेश में आयोग ने कहा कि यह साफ है कि न तो उनकी समय पर जानकारी देने में ही कोई रुचि है और न ही आयोग के आदेश को गंभीरता से लेने की प्रवृत्ति है। यह टालमटोल का लापरवाहीपूर्ण और खानापूर्ति करने का अलोकप्रिय सरकारी रवैया ही है। बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद लोक सूचना अधिकारी यह स्पष्ट करने में असफल रहे हैं कि मामूली सी जानकारी के निराकरण में तीन वर्ष से अधिक का विलंब क्यों हुआ? आयोग के पिछले आदेशों पर जैसे कोई गौर ही नहीं किया गया है। नगरीय निकायों में सूचना के अधिकार के प्रति अफसरों की लापरवाही का यह एक नमूना है।