सीनियरटी उम्र के बजाय कार्यक्षमता और दक्षता से तय करने का हाईकोर्ट का फैसला
खरी खरी संवाददाता
जबलपुर, 11 मार्च। हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि महज आयु नहीं बल्कि कार्यक्षमा व दक्षता को वरिष्ठता का मापदंड बनाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इस टिप्पणी के साथ याचिकाकर्ता कर्मचारी के हक में राहतकारी आदेश पारित कर दिया। इस तरह उसे वरिष्ठता मिलने का रास्ता साफ हो गया।
याचिकाकर्ता राजेश विजयवर्गीय का कहना था कि उसकी व सुरेश कुमार सोनी की नियुक्ति एक साथ वर्ष 1990 में सब इंजीनियर के पद पर हुई थी। कार्यक्षमता व दक्षता के अनुसार पर वरिष्ठता सूची में उसका स्थान दूसरे व सुरेश का नाम छठवें स्थान पर था। वर्ष 1992 में दोनों का 1990 से नियमित करने के आदेश जारी किए गए थे। वर्ष 2012 में अनावेदक को सहायक इंजीनियर के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी। वरिष्ठ होने के बावजूद भी उसे पदोन्नति से वंचित कर दिया। इस संबंध में उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी दी गई कि बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया था कि दो व्यक्तियों की नियुक्ति एक साथ होती है तो उम्र के आधार पर वरिष्ठता निर्धारित की जाएगी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि साल 1990 में दैनिक वेतन भोगियों को कार्य क्षमता के आधार पर नियमित किया गया था। नियमित किये जाने की तारीख का उल्लेख बाद में किया गया था।