सीएम शिवराज सिंह को विंध्य पर भरोसा, खेला बड़ा सियासी दांव
सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 13 सितंबर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विंध्य से बहुत उम्मीदें हैं, बहुत भरोसा है। इसलिए विंध्य अंचल में बड़ा सियासी दांव खेला जा रहा है। विंध्य क्षेत्र में दो-दो नए जिले बनाना और सरकार के आखिरी दौर में कैबिनेट का विस्तार कर विंध्य को जगह देना, उसी रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री खुद लगातार विंध्य की सियासत पर नजर बनाए हैं और इस कोशिश में जुटे हैं कि विंध्य में बीजेपी इस बार भी लीडिंग स्थिति में रहे।
लगातार पांचवी बार प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए हर संभव कोशिश कर रही बीजेपी को इस बात पर हैरानी हो रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद भी चंबल इलाके में भाजपा की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। नगरीय निकाय चुनाव में ग्वालियर और मुरैना में महापौर पद गंवाने के बाद भी भाजपा में बदलाव नहीं आया है। भाजपा की अंतर्कलह पार्टी संगठन को लगातार कमजोर कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका असर विधानसभा चुनाव पर पडेगा। चंबल अंचल के दिग्गजों नरेंद्र सिंह तोमर, वीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा, कप्तान सिंह सोलंकी, जयभान सिंह पवैया, प्रभात झा, अनूप मिश्रा, माया सिंह, ध्यानेंद्र सिंह, रुस्तम सिंह के अपने-अपने सियासी समीकरण हैं। सिंधिया के साथ भाजपाई बनने वाले नेताओं के अपने अपने समीकरण हैं। इसलिए तमाम कोशिशें भी भाजपा के अनुभवी नेताओँ में बहुत उम्मीद नहीं जगा पा रही हैं। इसका नुकसान विधानसभा चुनाव में होना तय है। इस बात को शिवराज सिंह चौहान संभवतः बहुत बेहतर ढंग समझते हैं। वे इसके चलते नया रास्ता तलाश रहे हैं। उनकी कोशिश है कि चंबल अंचल में होने वाले घाटे की भरपाई विंध्य क्षेत्र में कर ली जाए। उन्होंने इसकी कवायद काफी पहले शुरू कर दी। इसलिए सभी को चौंकाते हुए उन्होंने पहले मऊगंज को जिला बना दिया। राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगी तो मैहर को भी जिला बना दिया गया। एक क्षेत्र में दो-दो नए जिलों का गठन किसी भी सरकार में बहुत सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जाता है।
बीजेपी ने साल 2018 के जिस चुनाव में सत्ता खो दी थी, उसमें विंध्य अंचल ने पार्टी का बहुत साथ दिया था। विंध्य की तीस में से 24 सीटें भाजपा के हिस्से में आई थीं। कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल तक चुनाव हार गए थे। अगर विंध्य कांग्रेस का साथ थोड़ा भी दे देता तो प्रदेश में कमलनाथ की सरकार पूर्ण बहुमत से बनती और तब प्रदेश की सत्ता का नजारा आज भी बदला हुआ होता। बीजेपी को औऱ विशेषकर सीएम शिवराज सिंह चौहान को विंध्य से उसी तरह के करिश्मे की उम्मीद है। नगरीय निकाय चुनाव में सिंगरौली महापौर की सीट आप के खाते में जाने के बाद बीजेपी को लगने लगा कि सरकार के खिलाफ लोगों में व्याप्त नाराजगी कांग्रेस के खाते में नहीं जाएगी, इसलिए बीजेपी इस कोशिश में जुट गई कि विंध्य की जनता का भाजपा पर भरोसा कायम रहे। सीएम इसी कोशिश में जुट गए और काफी हद तक सफलता भी मिल रही थी, लेकिन सीधी में एक दलित व्यक्ति पर पेशाब करने की घटना बड़ा डेंट लगा दिया। अब बीजेपी उस डेंट को धोने की कोशिश में जुटी है। मुख्यमंत्री ने उस दलित को भोपाल में सीएम हाउस बुलाकर उसका भारी सम्मान किया। सीएम के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि यह डेंट सीएम के नए प्रयोगों से छुप जाएगा। इसलिए राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मैहर को जिला बनाने की घोषणा हो या राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाने का फैसला, वोटरों को बीजेपी के पक्ष में करेगा। राजेंद्र शुक्ला क्षेत्र का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। उनकी सक्रियता मंत्री मंडल में नहीं होने के कारण कमतर हो रही थी। चुनाव के लिए बचे एक महीने में भी उनकी सक्रियता बीजेपी को बहुत लाभ पहुंचा सकती है। सीएम शिवराज सिंह को भी इस बात पर बहुत भरोसा है। यही भरोसा विंध्य में बीजेपी की स्थिति मजबूत करेगा। इसलिए विंध्य को लेकर चले जा रहे सियासी दांव फायदा पहुंचा सकते हैं।