सीएम शिवराज ने कोविड-19 की चुनौतियों पर आध्यात्मिक गुरुओं से की चर्चा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल,28 अप्रैल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शंकर जयंती के अवसर पर आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने "कोविड-19 चुनौतियां एवं एकात्म बोध" विषय पर महामंडलेश्वर और संस्था प्रमुखों से विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने प्रमुख रूप से जूना पीठाधीश्ववर एवं अध्यक्ष हिंदू धर्म आचार्य सभा, समन्वय सेवा ट्रस्ट और भारत माता मंदिर, हरिद्वार के महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरी, चिन्मय मिशन मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, प्रमुख मानव प्रबोधन प्रन्यास बीकानेर स्वामी संवित सोम गिरी, आर्ष विद्या मंदिर, से राजकोट के आचार्य स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती और उत्तरकाशी की आदि शंकर ब्रह्म विद्यापीठ के हरब्रह्मोन्द्रानन्द तीर्थ से चर्चा की तथा उनके विचार सुने। कन्याकुमारी विवेकानंद केंद्र की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता भिड़े और भारतीय शिक्षण मंडल नागपुर के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानितकर भी इस चर्चा में प्रतिभागी थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कोरोना संकट ने यह संदेश भी दे रहा कि हमें नई जीवन पद्धति अपनानी पड़ेगी। नए ढंग से जीना पड़ेगा। यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि हमारा विकास किस तरह हो ? अर्थ-व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वदेशी अपनाते हुए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर कुटीर ग्रामीण उद्योगों को विकसित करना होगा। श्री चौहान ने कहा कि प्रकृति की आराधना की परंपरा सशक्त हो। हम नदी को माँ और वृक्षों को पूजनीय मानते हैं। सभी नदियां हमारे लिए पूजनीय हैं। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सब में एक ही आत्मा का दर्शन किया जा सकता है। उन्होंने आध्यात्मिक गुरुओं से कहा कि मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ। एकात्म बोध कैसे जागे और हम अंधेरे से उजाले की तरफ कैसे बढ़े। आप सभी का दर्शन इस संबंध में उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही आचार्य शंकर सांस्कृतिक व्यास की बैठक भी आयोजित की जाएगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आध्यात्मिक गुरुओं ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा मध्यप्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के लिए भी यह आयुर्वेदिक काढ़ा अनुकरणीय होगा। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि, स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती और स्वामी संवित सोम गिरि ने मध्यप्रदेश के इस नवाचार की प्रशंसा की।