सीएम ने की समीक्षाः हुकुमचंद मिल के कर्मचारियों को 32 साल बाद मिलेगी राहत
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 22 दिसंबर। शपथ लेने के बाद से ही एक्शन मोड में चल रहे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इंदौर की बंद हो चुकी हुकम चंद मिल के कर्मचारियों के बकाए का 32 साल बाद भुगतान करने की तैयारी खुद की निगरानी में करा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने शनिवार मंत्रालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर 25 दिसंबर को इंदौर में आयोजित होने वाले 'हुकुमचंद मिल के श्रमिकों को हितलाभ वितरण' कार्यक्रम के लिए चल रही तैयारियों की समीक्षा की एवं आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
सीएम डा मोहन यादव शपथ लेने के बाद से ही एक्शन मोड में हैं। वे उन मुद्दों पर हाथ रख रहे हैं जो जनता को सीधे प्रभावित करते हैं। इसलिए इंदौर की बंद हो चुकी हुकमचंद मिल के 5895 श्रमिकों और उनके परिजनों के 32 साल से अटके हुए पैसों के भुगतान का न सिर्फ फैसला किया बल्कि उसकी सारी तैयारी खुद की निगरानी में करवा रहे हैं। इसके लिए 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन के मौके पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर श्रमिकों के बकाए का भुगतान किया जाएगा। कार्यक्रम में मिल श्रमिकों का भुगतान एक क्लिक से उनके खाते में भेज दिया जाएगा।
दरअसल, 12 दिसंबर 1991 को हुकुमचंद मिल बंद होने के बाद मजदूरों की बकाया राशि को लेकर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। करीब 5895 मजदूर में से 2200 से अधिक मजदूरों की मौत हो गई। इस दौरान कोर्ट में भी केस चला। लंबे संघर्ष के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मजदूरों को भुगतान के लिए 464 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है, जो की 2500 परिवारों को यह राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से खातों में डाली जाएगी। हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद कर दी गई थी।
तब से 5,895 कर्मचारी सदस्यता शुल्क का भुगतान करने के लिए भटक रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड द्वारा मिल देनदारों का 425 करोड़ 89 लाख रुपए भोपाल स्थित बैंक में जमा कराया जा चुका है। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद अब 25 दिसंबर से श्रमिकों के खाते में भुगतान भेजा जाना शुरू होगा। नगर निगम इंदौर मिल की जमीन हाउसिंग बोर्ड को हस्तांतरित कर चुका है। इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने प्रदेश सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने राशि जमा करने के लिए आदेश जारी कर दिया है। हमने पहले ही सैद्धांतिक तरीके से जमीन हाउसिंग बोर्ड को ट्रांसफर कर दी है।