सीएम का ऊर्जा विकास पर्व, बिजली का चुनावी एजेंडा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 10 जुलाई। बिजली की दम पर मध्यप्रदेश की सत्ता में आई भाजपा अब बिजली की दम पर सत्ता बचाने की कवायद में जुटी है। इसी के चलते गरीबों को 200 रुपए के फ्लैट रेट पर एक किलोवाट बिजली प्रति माह देने जा रही है। अपनी इस घोषणा का सियासी लाभ लेने के लिए सरकार पूरे प्रदेश में ऊर्जा विकास पर्व मनाने जा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में 11 जुलाई को एक साथ ऊर्जा विकास पर्व मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही उस अभियान में शामिल नहीं थे, जिसमें बिजली को मुद्दा बनाकर भाजपा ने दस साल की कांग्रेस की दिग्विजय सरकार को उखाड़ फेंका था, लेकिन शिवराज सिंह चुनाव में बिजली की महत्ता को समझ गए। इसलिए हर चुनाव में बिजली को मुद्दा बनाया जा रहा है। भाजपा 2003 के चुनाव में बिजली संकट को मुद्दा बनाकर सरकार में आई। इसके बाद 2008 के चुनाव में बिजली उपलब्धता बढ़ाने को मुद्दा बनाया गया। कई निजी क्षेत्रों को पावर प्लांट लगाने के लिए मध्यप्रदेश में सहूलियतें उपलब्ध कराई गईं। इसका लाभ चुनाव में भाजपा को मिला और वह सत्ता में वापस आ गई। इसके बाद 2013 के चुनाव के ठीक पहले अटल ज्योति अभियान शुरू किया गया। इसमें खेती के लिए अलग और घर के लिए अलग फीडर लाइन की शुरुआत हुई। प्रदेश के सभी जिलों में समारोह आयोजित कर अटल ज्योति अभियान का सियासी उत्सव मनाया गया।
इस बार 2018 के चुनाव में फिर बिजली चुनावी मुद्दा बन रही है। सरकार ने किसानों को बिलों में पचास सब्सिडी का ऐलान पहले ही कर रखा है। विद्युत नियामक आयोग तक को इस बारे में आधिकारिक रूप से पता है। अब सरकार ने गरीबों को 200 रुपए प्रति माह के फ्लैट रेट पर बिजली देने की शुरुआत की है। इस घोषणा पर अमल शुरू भी हो गया है लेकिन सरकार उसका सियासी लाभ अब लेने जा रही है। प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में ऊर्जा विकास पर्व या प्रकाश पर्व मनाने की योजना पर 11 जुलाई को अमल होगा। मुख्यमंत्री खुद रतलाम जिले में इस पर्व में शामिल होंगे। सभी मंत्रियों की ड़्यूटी भी विभिन्न जिलों में आयोजित प्रकाश पर्व में लगाई गई है। बिजली फिर सत्तारूढ़ भाजपा की नैया पार लगाएगी।