सियासी दांवपेंच में उलझता हाथ और हाथी का साथ

Jul 17, 2018

खरी खरी संवाददाता 

भोपाल, 17 जुलाई। इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन का मामला नए-नए दांव-पेंच में उलझता जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के बीच बातचीत के बाद भी अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।

कांग्रेस इस बार किसी भी हाल में मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज होना चाहती है। उसे लग रहा है कि अगर अभी नहीं तो फिर कभी नहीं वाली स्थिति मध्यप्रदेश में बन सकती है।  इसलिए मध्यप्रदेश की सत्ता पाने के लिए वह हर राजनीतिक दांवपेंच अपना रही है। इसी के चलते कांग्रेस प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल होने के बाद भी क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करने की तैयारी में है। प्रदेश में करीब 40 विधानसभा सीटों पर असर डालने वाली बसपा से गठबंधन को फिलहाल कांग्रेस ने सबसे ऊपर रखा है। इसी क्रम में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की बसपा अध्यक्ष मायावती से बैठक हो चुकी है। हाल में ही दिल्ली दौरे पर गए कांग्रेस के मप्र अध्यक्ष कमलनाथ की भी मायावती से मुलाकात हुई है।

बसपा सुप्रीमो मायावती को यह बात समझ में आ गई है कि कांग्रेस को उनकी जरूरत है। इसलिए अब मायावती सियासी गणित का खेल कर रही हैं। उन्होंने कह दिया है कि गठबंधन के लिए वे तैयार हैं, लेकिन अकेले मध्यप्रदेश के लिए  गठबंधन नहीं होगा। गठबंधन तीनों राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए होगा। तीनों ही राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होगा। बसपा की स्थिति मप्र छोड़ अन्य दोनों राज्यों में खास प्रभावी नहीं है। इसलिए मायावती अब कांग्रेस का हाथ पकड़कर तीनों राज्यों में अपनी मौजूदगी का अहसास कराना चाहती हैं। कांग्रेस इस कोशिश में है कि सिर्फ मध्यप्रदेश में उसे बसपा का साथ लेना पड़े। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में वह अपनी दम पर चुनाव लड़ना चाहती है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के लिए हाथ और हाथी का समझौता नए दांवपेंच में उलझता जा रहा है।

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