सियासत के मैदान में साध्वीः भोपाल में दिग्विजय से करेंगी मुकाबला
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 17 अप्रैल। लोकसभा के अधिकांश चुनावों में शांत और सहज रहने वाली मध्यप्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट इस लोकसभा चुनाव मे हाट सीट हो गई है। भाजपा का अभेद गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर हर बार आत्मसमर्पण जैसी स्थिति मे रहने वाली कांग्रेस ने इस बार यहां से दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारकर पहले ही दिलचस्प बना दिया था। अब भाजपा ने यहां से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मुकाबले मे लाकर चुनाव को और रोचक तथा हाट बना दिया।
कांग्रेस ने इस सीट के लिए दिग्विजय सिंह के नाम की घोषणा बहुत पहले कर दी, लेकिन भाजपा को प्रत्याशी चयन में दिक्कतें आ रही थीं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई दिग्गजों के नाम चर्चा में आए लेकिन अंततः बुधवार को नाम फाइनल हुआ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का। भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है। सब कुछ लगभग फाइनल होने के बाद प्रज्ञा बुधवार की दोपहर भोपाल स्थित भाजपा के प्रदेश मुख्यालय दीनदयाल परिसर पहुंची, जहां उन्होंने भाजपा की औपचारिक रूप से सदस्यता ली। इस औपचारिकता के कुछ घंटों बाद ही उनको प्रत्याशी बनाए जाने का ऐलान हो गया।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव धमाकों के बाद सुर्खियों में आई थीं। जिसके बाद उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। साल 2017 में सबूतों के अभाव में एनआईए ने अदालत से उन्हें जमानत देने पर एतराज न होने की बात कही जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया। वो 9 साल जेल में रहने के बाद बाहर आईं।
मध्यप्रदेश के भिंड में जन्मी साध्वी प्रज्ञा के पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर थे और संघ से जुड़े थे। जिसकी वजह से प्रज्ञा ठाकुर का झुकाव बचपन से ही संघ की ओर हो गया। इतिहास विषय से परास्नातक प्रज्ञा ने संघ के संपर्क में आने के बाद संन्यास ले लिया। इससे पहले वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य भी रहीं। अपनी भाषण शैली की वजह से उन्हें जल्द हिंदी भाषी प्रदेशों में लोकप्रियता मिलने लगी। उन्होंने सूरत में एक आश्रम भी बनाया और वहीं से वो देश भर में घूमने लगीं। साध्वी अपने तीखे बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहीं। उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम पर 'भगवा आतंकवाद' शब्द गढ़ने का भी आरोप लगाया। 2018 में गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को 'इटली वाली बाई' कह दिया।
29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इसमें 7 लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग जख्मी हो गए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को अक्तूबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था। प्रज्ञा पर मकोका अधिनियम की विभिन्न धाराएं भी लगाई गई थीं। साध्वी पर मालेगांव ब्लास्ट के साथ ही साथ सुनील जोशी की हत्या का भी आरोप है। एनआईए की जांच में भी ये बात सामने आई कि सुनील का प्रज्ञा के प्रति आकर्षण ही उनकी हत्या का कारण बना। 2017 में जांच के बाद एनआईए ने अदालत से कहा कि उसे प्रज्ञा ठाकुर को जमानत पर छोड़ने में दिक्कत नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ अभियोजन लायक सुबूत नहीं हैं। जिसके बाद 25 अप्रैल 2017 को उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। अब साध्वी सियासत के मैदान में हैं और दिग्विजय सिंह के खिलाफ ताल ठोंकेंगी।