सिंहासन के उत्तराधिकारी को बचाने के लिए बेटे की बलि दे दी
सुमन त्रिपाठी
भोपाल।भारतीय संस्कृति में पन्ना धाय का नाम मातृत्व, वात्सल्य, करुणा, साहस एवं बलिदान का शाश्वत प्रतीक बन गया है। मेवाड़ राजसिंहासन के उत्तराधिकारी बालक उदय सिंह को बनवीर से बचाने के लिए पन्ना धाय जो मार्ग निकालती है वह अद्वितीय है। पन्ना धाय द्वारा दिए गए इसी बलिदान पर आधारित नाटक ‘पन्ना धाय’ का मंचन शहीद भवन के सभागार में तीन दिवसीय नाट्य समारोह के अंतर्गत ‘हम थियेटर ग्रुप द्वारा बालेंद्र सिंह के निर्देशन में किया गया।
नाटक की कहानी-
इस कहानी की अनुसार देश धर्म, मातृ-भूमि का धर्म सभी धर्मों से बढ़कर है, इसे चरितार्थ करती पन्ना धाय को जब मालुम पड़ता है कि बनवीर मेवाड़ के राजसिंहासन के उत्तराधिकारी उदय सिंह को खत्म करना चाहता है। ऐसे समय में पन्ना मातृत्व धर्म का मोह त्याग अपने पुत्र को कुंअर उदय सिंह के बिछौने पर सुला देती है और बनवीर कनक को उदय समझ पन्ना के सामने उसके पुत्र की हत्या कर देता है। नारी होते हुए पन्ना साहस वीरता की मिसाल प्रस्तुत कर वह हर मुश्किल से बचाते हुए उदय को बचा पाल-पोस कर बड़ा करती है और देशभक्ति का कत्तव्य निभाते हुए अपनी जन्मभूमि चित्तौड़ को उसका असली वारिस देती है। पन्ना अपने पुत्र के कातिल बनवीर को मृत्यु दण्ड की सजा न सुना कर यह सिद्ध कर देती है कि हत्या का बदला हत्या नहीं। इस तरह निच्छल कर्त्तव्य परायणाता से पन्ना न केवल अपने देशकाल में अपितु आज भी नारी जाति का मस्तक महिमा मण्डित करती है। इस नाटक को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया व तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
मंच पर-
इस नाटक में अभिनय करने वाले कलाकारों में शीतल सैनी के गेटअप में तान्या लोकवानी, बनवीर- रूपेश तिवारी, करमचंद- भरत सिंह, कर्ण- भगवत दयाल कुशवाह के अलावा वीरमल बने रवि अर्जुन प्रमुख थे।