सरकार की हनुवंतिया में फिजूलखर्ची...?
सुमन “रमन”
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर पूरी सरकार के साथ हनुवंतिया पहुंचने वाले हैं। मुख्यमंत्री ने 3 फरवरी को हनुमंतिया में केबिनेट की बैठक बुलाई है। केबिनेट की पिछली बैठक में सीएम ने सख्त निर्देश दिए थे कि हनुवंतिया वाली बैठक में सभी मंत्रियों का आना जरूरी है। कुछ मंत्रियों ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते हनुवंतिया पहुंचने में असमर्थता जताई थी, लेकिन सीएम ने सभी कार्यक्रम निरस्त कर हनुवंतिया पहुंचने का फरमान सुना दिया। सीएम के तेवर देखकर सभी मंत्रियों ने हनुमंतिया पहुंचने का मन बना लिया है। मंत्रियों के पहुंचने के कारण अफसरों की टीम वहां पहले से पहुंच गई है।
सभी मुख्यमंत्री के पसंदीदा स्थानों में मड़ई या रातापानी अभ्यारण्य हुआ करता था लेकिन जबसे खंडवा जिले का हनुमंतिया विकसित हुआ है तब से हनुवंतिया उनकी पहली पसंद हो गया है। वह पिछले एक साल में ही किसी न किसी बहाने हनुवंतिया जा चुके हैं। वह अपनी सरकार के साथ भी वहीं पहुंचे और केबिनेट की बैठक की तथा परिवार के साथ भी पहुंच वहीं रात बिताई। केबिनेट की हनुवंतिया में हुई पिछली बैठक में ही सीएम ने संकेत दे दिए थे कि टापू के रूप में विकसित इस पर्यटन स्थल पर आना-जाना लगा रहेगा। लेकिन किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि बहुत जल्द केबिनेट की बैठक हनुमंतिया में बुला ली जाएगी। राजनीतिक विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इस तरह की बैठकों से प्रचार माध्यमों में सरकार की इन गतिविधियों की खबरें अधिक हो जाने के अलावा और कोई लाभ नहीं होता। पूरी केबिनेट के हनुवंतिया पहुंचने पर उनके रहने-खाने की व्यवस्था के साथ सुरक्षा का भारी बंदोबस्त किय़ा जाता है। केबिनेट की बैठक 3 फरवरी को होनी है लेकिन पुलिस ने 3 दिन पहले से ही पर्यटन स्थल को एक तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। मुख्यमंत्री खुद हनुवंतिया सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं, इसलिए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत पड़ती है। इस बैठक के चलते इंदौर, उज्जैन, खरगौन और खंडवा जिलों के पुलिस कर्मियों को सरकार की सुरक्षा में लगा दिया गया है, इसके चलते कानून व्यवस्था की मुस्तैदी पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
मुख्यमंत्री संभवतः हनुवंतिया को पर्यटन केंद्र के रूप में बहुप्रचारित करना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए जो उपाय किए जा रहे हैं वह सरकारी खजाने पर निश्चित ही भारी पड़ेंगे। पूरी सरकार के उस निर्जन स्थान पर पहुंचने से चर्चाएं तो बहुत होंगी लेकिन उस पर होने वाले खर्च की भरपाई का कोई प्रावधान नहीं होगा। अगर जनता की मानें तो यह अनावश्यक खर्चों में गिना जाता है। आम लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री हनुमंतिया में पहले केबिनेट की बैठक कर चुकें हैं और वहां सपरिवार रुक भी चुके हैं, इससे इस पर्यटन स्थल का जितना प्रचार होना था हो गया। हाल ही में हनुवंतिया में पर्यटन विभाग की ओर से जल महोत्सव का भी आयोजन किया गया था। इस बहाने देशभर के पर्यटकों को हनुवंतिया लाने की कोशिश की गई थी । एक बड़ी इवेंट कंपनी को महोत्सव का ठेका दिया गया था। सरकार के लिए यह आयोजन कितने घाटे या फायदे का रहा यह तो सरकार ही बता पाएगी। लेकिन यह तय है कि उतनी संख्या में पर्यटक नहीं आए जितनी उम्मीद थी, जो पर्यटक हनुवंतिया पहुंचे भी थे उन्हें तमाम अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है इसी सबके चलते एक बार फिर मुख्यमंत्री पूरी सरकार के साथ हनुवंतिया पहुंच कर उसे चर्चा में लाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा चाहे जो हो लेकिन हनुवंतिया की बैठक को लेकर बहुत गंभीर हैं। केबिनेट की इस बैठक में हनुमंतिया बैठक की घोषणा हुई थी, तभी मुख्यमंत्री की गंभीरता सबको समझ में आ गई थी। जब उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने जब दिल्ली में उनकी बैठक होने का हवाला देकर हनुवंतिया पहुंचने में असमर्थता जताई, सीएम ने दो टूक में कह दिया “भले फ्लाइट से आएं आना पड़ेगा।“ कुसुम महदेले ने जिला योजना समिति की बैठक उस दिन होने का हवाला दिया तब सीएम ने बैठक रद्द कर हनुवंतिया पहुंचने के निर्देश दे दिए। कुछ मंत्रियो ने जब सुबह नौ बजे आयोजित बैठक में पहुंचने में आनाकानी दिखाई तो सीएम ने रात में हनुवंतिया पहुंच जाने का कह दिया ताकि सुबह बैठक में समय से पहुंच सकें।
सीएम के सख्त लहजे को देखते हुए सभी मंत्रियों और अफसरों का हनुवंतिया पहुंचना तय है। जब सभी रहेंगे तो कुछ काम भी होगा, आराम भी होगा और मस्ती भी होगी। लेकिन सुचिता और मितव्ययिता का दम भरने वाली भाजपा की सरकार की इस फिजूलखर्ची पर अंगुलियां भी उठेंगी, इस तरह सरकार को तैयार होना होगा।