विधानसभा का आखिरी सत्र पांच दिन के बजाय पांच घंटे ही चला
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 12 जुलाई। मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। यह मौजूदा 15 वीं विधानसभा का आखरी सत्र था जो पांच दिन के लिए तय था, लेकिन सत्र दूसरे दिन ही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित हो गया। पांच दिन की बजाय बमुश्किल कुल पांच घंटे ही सत्र चल सका।
सत्र के दूसरे दिन बुधवार को सदन की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्षी सदस्य सीधी जिले में हुए पेशाब प्रकरण, आदिवासियों पर कथित अत्याचार और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। वे आसन के समक्ष आ गए और राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। शून्यकाल में कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने गर्भगृह में एकत्रित होकर आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर चर्चा की मांग उठाई। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सभी कांग्रेस विधायकों को अपनी-अपनी सीट पर जाकर बोलने को कहा। इसके बाद भी हंगामा नहीं थमा। नारेबाजी जारी रही। दस मिनट के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। दोबारा बैठक शुरू होने पर भी यही स्थिति रही। हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की अनुमति से सदन में अनुपूरक बजट पेश किया गया। अनुपूरक बजट सहित अन्य विधेयकों को बिना किसी चर्चा के, ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव रखा और अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। यह विधानसभा का आखिरी सत्र था क्योंकि इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।