वाह, उस्ताद, वाह..... शिखर पर होकर भी कहते हैं मैं उस्ताद नहीं शागिर्द हूं

Mar 03, 2019

सुमन त्रिपाठी

भोपाल। शहर वासियों के लिए शनिवार का दिन बहुत ही खास रहा। इस खास दिन की वजह रहे वाह- उस्ताद- वाह-के पर्याय बन चुके तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन। भारत भवन में उस्ताद जाकिर हुसैन का तबला वादन था। लोगों के सिर उनका जादू चढ़कर बोल रहा था। उनकी एक झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम शाम से इंतजार कर रहा था। भारत भवन की तरफ जाने वाली हर राह का आलम यह था कि वह दो पहिया व चार पहिया वाहनों से पटी पड़ी थीं। देर रात चले कार्यक्रम के बाद वह पत्रकारों से रूबरू हुए और उनके तमाम सवालों में से कुछ के जवाब मिले.
.उस्ताद नाम से पहचान और पुकारे जाने पर कैसा महसूस होता है?
-सभी मेरे नाम के साथ उस्ताद जोड़ देते हैं लेकिन मैं अपने आप को उस्ताद नहीं मानता। क्योंकि जिस दिन में उस्ताद बन गया उस दिन से मेरा नया सीखना बन्द हो जाएगा और कला या कोई भी शिक्षा ऐसी होती है जिसमें हर समय सीखते रहने की गुंजाश बनी रहती है। मेरे अब्बा अल्ला रक्खा उस्ताद थे मैं तो उनका शागिर्द ही हूं।
.आजकल आप नया क्या पेश कर रहे हैं?
-मैं हर दिन विद्यार्थी के रूप नया ही सीखता हूं। अपनी परफोर्म देते समय कुछ सोच कर नहीं जाता। बस उस समय अपने आप जो पेश करता हूं वही खास बन जाता है और एक शागिर्द की तरह हर दिन नया अनुभव होता है। सीखता रोज हूं प्लान कभी नहीं करता।
.अपने अब्बा की कोई बात जो आपके जहन में याद के रूप में हर समय रहती हो?
-हंसते हुए कोई बात तो छोड़िए अब्बा ही मेरे जहन में हर समय रहते हैं। फिर उन्होंने आगे कहा कि मेरे अब्बा हर समय कहा करते थे कलाकार के रूप में हर दिन एक नया चैलेंज होता है। उन्होंने कहा कि गुरू एक बहती नदी की तरह होता हैए शागिर्द चाहे तो उसमें से एक अंजुरी भर लेए एक गिलास भर ले या फिर एक बाल्टी भर ले। हर शागिर्द जितनी उसकी योग्यता होगी उतना उसमें से भर लेगा।
.एक अच्छे गुरू की क्या पहचान है?
-किसी भी कलाकार से गुरू की भी पहचान होती है। इसलिए एक कलाकार का यह भी मुख्य काम है कि वह अपनी शिक्षा अनुसार कला को नई ऊंचाईयों तक ले जाए तभी शिष्य की पहचान से एक अच्छे गुरू की पहचान होगी।
. आपकी ऊर्जा का राज क्या है?
-मेरे प्रदर्शन के दौरान श्रोताओं और दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट ही मुझमें नई ऊर्जा होती है। मेरी कला को चाहने वालों की जितनी अधिक तालियां होती हैं उतना ही मुझमें ऊर्जा का संचार होता है बस यही राज है।