लोकसभा चुनाव जीतने वालों पर अब राज्यसभा सीट जिताने की नई जिम्मेदारी
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 15 जून। लोकसभा चुनाव में सारी ताकत लगाकर अपने प्रत्याशियों को जिताने वाले सियासी दलों के सामने अब राज्यसभा चुनाव की चुनौती आ गई है। राज्यसभा के दस सांसदों के लोकसभा पहुंच जाने के कारण राज्यसभा की दस सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं। इनमें असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक सीट शामिल हैं। राज्यसभा छोड़कर लोकसभा जीतने वालों के समक्ष अब राज्यसभा चुनाव जिताने की नई चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी होगी।
लोकसभा पहुंचे राज्यसभा के सांसद
विभिन्न दलों से राज्यसभा सांसद रहे कई राजनेता लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंच गए हैं। उनके राज्यसभा से इस्तीफा देने के कारण राज्यसभा की सीटें खाली हो गई हैं। मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया एमपी की गुना सीट से लोकसभा चुनाव जीते हैं। उन्हें मोदी कैबिनेट में दूरसंचार और पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय सौंपा गया है। महाराष्ट्र से भाजपा के राज्यसभा सांसद पीयूष गोयल और उदयनराजे भोंसले अब लोकसभा के सदस्य हैं। मुंबई उत्तर सीट से जीते गोयल को मोदी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बनाया गया है। वहीं दूसरे नेता उदयनराजे भोंसले सतारा से लोकसभा के लिए चुने गए हैं। हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। इनके अलावा राज्य सभा सदस्य मीसा भारती (बिहार), विवेक ठाकुर (बिहार), कामाख्या प्रसाद तासा (असम), सर्बानंद सोनोवाल (असम), केसी वेणुगोपाल (राजस्थान) और बिप्लब कुमार देब (त्रिपुरा) भी लोकसभा चुनाव जीते हैं। इस तरह राज्यसभा के 10 सदस्यों के लोकसभा चुनाव जीतकर राज्यसभा से इस्तीफा देने के कारण सात राज्यों से राज्य़सभा की 10 सीटें खाली हो गई हैं। राज्यसभा सचिवालय ने इन रिक्तियों की अधिसूचना जारी कर दी है।
अब क्या होगा राज्यसभा चुनाव का गणित
राज्यसभा की जिन 10 सीटों पर रिक्तियों की अधिसूचना जारी की गई है उनमें सात सीटें भाजपा, दो कांग्रेस और एक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास थीं। कांग्रेस और राजद दोनों ही इंडिया के प्रमुख घटक हैं। असम, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और त्रिपुरा जैसे राज्यों के उम्मीदवारों के आसानी से जीत हासिल करने की संभावना है। महाराष्ट्र विधानसभा में एनडीए की पर्याप्त संख्या होने पर इसके दो उम्मीदवार अपनी-अपनी सीट जीत जाएंगे लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी होंगी। हालांकि, हरियाणा में खाली हुई सीट के लिए होने वाले चुनावों में भाजपा को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इनमें हरियाणा में एक बार फिर एनडीए बनाम इंडिया की कड़ी लड़ाई दिख सकती है। महाराष्ट्र में भी राज्यसभा उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी होंगी। उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इसको लेकर एनसीपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल के अनबन की खबरें भी आईं। भुजबल ने एक बयान में कहा भी कि हालांकि वह चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन वह सुनेत्रा पवार के नामांकन से नाराज नहीं हैं।
हरियाणा में होगा दिलचस्प मुकाबला
जिन राज्यों में राज्यसभा चुनाव होगा उनमें हरियाणा की लड़ाई सबसे दिलचस्प होगी। दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से सांसद चुने जाने के कारण जरूरी हो गया है। 90 सदस्यीय विधानसभा अब 87 सदस्यों की रह गई है। पार्टीवार ताकत पर गौर करें तो भाजपा के पास अपने 41 विधायक हैं। इनके अलावा दो विधायकों -निर्दलीय नयन पाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा के समर्थन के साथ भाजपा के पास 43 सीटें हो जाती हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्ष की तरफ गौर करें तो इधर 44 विधायक दिखाई देते हैं। इनमें कांग्रेस के 29 विधायक, जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 और तीन निर्दलीय (रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान), चौथे निर्दलीय बलराज कुंडू और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अभय चौटाला शामिल हैं। तीन निर्दलीय रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान ने पहले सरकार को समर्थन दिया था लेकिन हाल ही में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन कर दिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने न तो भाजपा को और न ही कांग्रेस को समर्थन दिया है। इनेलो के अभय चौटाला ने भी अभी तक किसी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर उसे सभी विपक्षी विधायकों का समर्थन मिल गया तो वह भाजपा से चुनाव जीत सकती है, हालांकि सब कुछ इतना आसान नहीं होने जा रहा है।