लोकसभा की आरक्षित सीटों पर खुद काम करेगा भाजपा हाईकमान
सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 5 मार्च। भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की आरक्षित सीटों पर सीधी नजर रखेगा और खुद काम करेगा। इसके लिए पार्टी हाईकमान प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी रणनीति बनाने तक में संघ की मदद लेगा। हाईकमान ने राज्य इकाई को साफ निर्देश दिए हैं कि आरक्षित सीटोंए विशेषकर आदिवासी सीटों पर केंद्र के निर्देशों के अनुसार ही सारी कवायद की जाए। पार्टी पिछली बार की तरह प्रदेश की 29 में से 27 सीटें लोकसभा सीटें जीतने का सपना भले ही नहीं देख रही हैए लेकिन उसकी योजना है कि आरक्षित वर्ग की दस में दस सीटें इस बार भी पार्टी के खाते में आएं।
विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कसक वाली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व लोकसभा में किसी भी तरह बेहतर प्रदर्शन करना चाहता है। इसके लिए हाईकमान एक.एक सीट की समीक्षा कर रहा है। पार्टी का मानना है कि विधानसभा चुनाव में मिली हासिए वाली पराजय में माई का लाल वाले संवाद की भी भूमिका रही है। पार्टी को लग रहा है कि उसकी रणनीति सफल नहीं रही। आरक्षित वर्ग के साथ खड़े होने के कारण सामान्य वर्ग का मतदाता उससे छिटक गया और आरक्षित वर्ग का मतदाता पूरी तरह उसके पास आने के बजाय कांग्रेस के पास भी चला गया। इसलिए लोकसभा चुनाव में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चुनाव अभियान को दो हिस्सों में बांटना चाहता है। सामान्य सीटों पर पार्टी की राज्य इकाई अभियान चलाएगी लेकिन आरक्षित सीटों के चुनाव अभियान की कमान हाईकमान के हाथ में रहेगी। इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पूरी टीम काम में जुट गई है।
पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते पार्टी ने प्रदेश की 29 में से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी इस बार भी वैसा प्रदर्शन होने का दावा कर रही हैए लेकिन उसे भी पता है कि इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। इसलिए तय किया गया है कि कम से कम आरक्षित श्रेणी की सभी 10 सीटें भाजपा को ही मिलें। इन दस सीटों में से 6 अनुसूचित जनजाति के लिए और 4 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। पिछली बार सभी दसों सीटें भाजपा के खाते में आई थीं। बाद में उपचुनाव में झाबुआ रतलाम सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली थी। इस बार इसी संभावना के आधार पर पार्टी हाईकमान रणनीति तैयार कर रहा है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अमित शाह खुद रणनीति बनाने और उस पर अमल करने के काम में जुटे हैं। इसके लिए संघ की मदद ली जा रही है। माना जा रहा है कि संघ की ग्वालियर में प्रस्तावित प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि नई रणनीति के तहत अनुसूचित जनजाति श्रेणी वाली सभी 6 सीटों पर इस बार प्रत्याशी बदले जाने का मन बन लिया गया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 4 सीटों पर अभी विचार किया जा रहा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन सीटों पर इस बार एकदम नए चेहरों को उतारा जा सकता है। इसलिए सभी सांसदों से उनकी पांच साल की रिपोर्ट मांगी गई है। हाईकमान सांसदों के दावों का मिलान अपनी रिपोर्ट से करेगा और उसके आधार पर टिकट काटने का फैसला लेकर सभी को चुनाव से काफी पहले बता दिया जाएगा। अमित शाह का यह नया पैंतरा भाजपा को अधिक सीटें दिलाने की उम्मीद बंधा रहा है।