रिश्तेदारों ने मोक्ष के लिए दोबारा किया 'अम्मा' का अंतिम संस्कार
चेन्नै, 15 दिसंबर। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को दफ़नाए जाने से नाराज़ उनकेपरिवार के कुछ सदस्यों ने उनका अंतिम संस्कार फिर से किया । उनके रिश्तेदारों ने हिंदू रस्म के अनुसार उनका दाहसंस्कार किया। उनका कहना था कि जयललिता मैसूर के उच्च ब्राह्मण परिवार से आती थीं और ब्राह्मणों में शव को दफनाया नहीं जाता है।
जयललिता का लंबी बीमारी के बाद पांच दिसंबर को निधन हो गया था। उन्हें द्रविड़पार्टी की परंपरा के अनुसार उनके मेंटॉर एमजीआर के नज़दीक मरीना बीच परदफ़नाया गया था। जयललिता को जिस तरह से दफ़नाया गया था, उसे लेकर उनके परिवार ने एतराज़ जताया था।जयललिताके रिश्तेदार होने का दावा करने वाले वरदराजन कहते हैं, ''उन्होंने श्रीवैष्णव परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार नहीं किया। हमारी परंपरा मेंदाह संस्कार अनिवार्य है। उन्हें हिंदू धर्म के अनुसार भी नहीं दफ़नायागया, उन्हें एक डब्बे में डाल दिया गया। वरदराजन का कहना था कि जया को मोक्ष नहीं मिलेगा।
वरदराजन एन जयराम की पहली पत्नी के भतीजे हैं और जयललिता जयराम की दूसरी पत्नी संध्या की बेटी थीं।उन्होंने ही जयललिता का अंतिम संस्कार किया क्योंकि उनके सौतेले भाई एनजे वासुदेवन बहुत बुजुर्ग हैं।वरदराजनका कहना था, ''उन्होंने मुझे जयललिता का अंतिम संस्कार करने के लिए पत्रदिया था। हमने मैसूर में अंतिम संस्कार करने से पहले कई पंडितों से बातकी।'' जयललिता का अंतिम संस्कार मैसूर से 25 किलोमीटर दूर श्रीरंगपट्टनम में कावेरी नदी के तट पर हुआ पंडित रंगनाथ आयंगार का कहना था, ''श्री वैष्णव परंपरा के मुताबिक वैसे तोवासुदेवन को अंतिम संस्कार करना चाहिए था। हमने सूखी घास से बने ''दरबा'' को मृत शरीर मानते हुए अंतिम संस्कार किया है। हम नौंवी और दसवीं भी कर रहेहै। लेकिन जयललिता की भतीजी दीपा जयराम का मानना है कि जिन्होंने जयललिता का ''औपचारिक देह'' संस्कार किया वो उनके रिश्तेदार नहीं हैं।दीपाका कहना था, "जिन्होंने अंतिम संस्कार किया है, मुझे नहीं लगता वो असलीरिश्तेदार हैं। हमारे ज्यादातर रिश्तेदार विदेशों में रहते हैं। " जय ललिता के परिवार में दीपा ही वह शख्स हैं जिन्हें जय ललिता बहुत प्यार करती थीं। दीपा को जय की सिसायी वारिस भी माना जा रहा है।