युद्ध के परिणाम से पहले ही पराजय मोड में दिखाई दे रही मप्र कांग्रेस
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 18 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के‘अबकी बार चार सौ पार’ के चुनावी नारे को हकीकत में बदलने के लिए भाजपा पूरी ताकत के साथ जुट गई है। मध्यप्रदेश में पार्टी ने इसके लिए प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। पिछले चुनाव में 29 में से 28 सीटें जीतने वाली बीजेपी के लिए यह टारगेट कोई बड़ी चुनौती नहीं लग रहा है। इसके लिए पार्टी बीते 6 महीने से कड़ी मशक्कत कर रही है। चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले उसने सभी 29 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। वहीं कांग्रेस चुनाव की घोषणा के बाद भी अलर्ट मोड में नहीं दिखाई दे रही है। अभी तक उसने सिर्फ 10 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित किए हैं। इस चुनावी समर में कांग्रेस युद्ध के पहले ही हार मानती नजर आ रही है।
मध्यप्रदेश में इस बार भी मुख्य मुकाबला हमेशा की तरह भाजपा और कांग्रेस के बीच होगा। इसलिए सभी की नजरें दोनों ही पार्टियों की चुनावी तैयारियों पर लगी हैं। जहां भाजपा की चुनावी तैयारियां सड़क से लेकर बूथों तक नजर आने लगी हैं, वहीं कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर खुद कांग्रेस के अंदरखाने में सवाल हो रहे हैं। भाजपा सभी सीटों के प्रत्याशी घोषित कर मैदान में दम दिखा रही है, वहीं कांग्रेस अभी भी इसी उहापोह में है कि कैसे मैदान में उतरा जाए। भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर मध्यप्रदेश पहुंचे राहुल गांधी न तो प्रत्याशी तय कर पाए और न ही चुनावी मुद्दे...। वोटर तक पहुंचने के लिए चलने वाले अभियान को लेकर कांग्रेस में अभी तक कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है।
कांग्रेस में संगठन सक्रिय नहीं
कांग्रेस प्रदेश की 28 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। एक सीट खजुराहो उसने समझौते में समाजवादी पार्टी को दे दी है। लेकिन खजुराहो सीट पर उसकी सहयोगी सपा की भी कोई तैयारी नहीं दिखाई दे रही है। भाजपा वोट के लिए घरों पर दस्तक दे रही है तो कांग्रेस अपने घर में मची भगदड़ से परेशान है। कांग्रेस को कुछ सीटों पर प्रत्याशी चयन में ही दिक्कत आ रही है। बड़े नेता अब तक राज्य में संगठनात्मक रूप से सक्रिय कम ही दिखे हैं। भाजपा ने अपने लोकसभा समन्वयकों को हर लोकसभा में भेजकर आकलन किया। कांग्रेस ने भी प्रत्याशियों की लिस्ट तो तैयार की, लेकिन नाम घोषित नहीं किए।
भाजपा की जीत की तैयारी
भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद से ही लोकसभा चुनावों में जुट गई थी। सीएम के नाम का एलान होने से पहले ही शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की 29 सीटें जिताने के लक्ष्य के साथ प्रदेश में घूमने लगे थे। उनका फोकस उन सीटों पर ज्यादा था जहां विधानसभा में भाजपा को हार मिली थी। भाजपा ने सभी 29 सीटों पर काफी पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। सभी सीटों पर प्रभारी और संयोजक नियुक्त कर दिए गए थे। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने मध्यप्रदेश को 7 क्लस्टरों में बांटा है और सात बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। जबकि 11 सीट ऐसी हैं, जहां लोकसभा प्रभारी और संयोजक के साथ सहसंयोजक भी बनाए गए हैं।
बीजेपी के बड़े नेता भी मैदान में
पार्टी ने 15 जनवरी से दीवार लेखन अभियान शुरू किया है। इसके तहत दीवारों पर भाजपा के पक्ष में नारे लिखे जा रहे हैं। इससे भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी है। भाजपा बूथ को मजबूत करने की तैयारी में है। पार्टी इस अभियान के जरिए सभी बूथ और पन्ना-अर्ध पन्ना प्रभारियों की सक्रियता से लेकर मतदाताओं से भी सम्पर्क साध रही है। इस अभियान में भाजपा के बड़े नेता दो-दो घंटे का समय बूथ पर दे रहे हैं और रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। बूथ विजय अभियान के तहत पार्टी के 41 लाख कार्यकर्ता प्रतिदिन दो घंटे बूथ पर रहेंगे। इस दौरान पार्टी के पक्ष में दस प्रतिशत मत की वृद्धि के लिए प्रबुद्धजन के साथ-साथ पन्ना प्रमुखों से संवाद करेंगे। बूथ विजय अभियान के तहत प्रदेश में 64,523 बूथों पर कार्यकर्ता 370 वोट बढ़ाने के लिए 22 मार्च तक निरंतर जाएंगे। इसके अलावा भाजपा ने सोशल मीडया से भी प्रचार शुरू कर दिया है। एप जारी कर दिया है, जिससे सरकार की योजनाओं की विस्तृत जानकारी लोगों तक पहुंच रही है। भाजपा ने महिला वोटों पर भी फोकस बढ़ा रखा है। इस बार छह महिलाओं को टिकट दिया गया है। प्रदेश के विधानसभा चुनावों की बंपर जीत में महिलाओं का बड़ा योगदान था। भाजपा इसे बनाए रखना चाहती है। लाडली बहना योजना का पैसा हर महीने बहनों के खाते में जा ही रहा है।
हारी सीट पर जीत की रणनीति
भाजपा ने 2019 में प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस जीती थी। भाजपा ने छिंदवाड़ा को जीतने के लिए करीब दो साल पहले तैयारी कर ली थी। कई केंद्रीय मंत्रियों को वहां नियमित भेजा गया। शिवराज सिंह चौहान भी वहां सक्रिय रहे। हालांकि विधानसभा चुनावों में छिंदवाड़ा की सभी सातों सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इसके बाद भी भाजपा ने तैयारी जारी रखी। बीच में सांसद नकुलनाथ और कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलों ने माहौल और गर्मा दिया था। हालांकि ये अफवाह साबित हुई। तैयारियों को देख लग रहा था कि भाजपा यहां कोई बड़ा चेहरा उतार सकती है। पहली सूची में छिंदवाड़ा सीट पर नाम नहीं आने से इस बात को बल भी मिला। लेकिन दूसरी सूची में भाजपा ने कमलनाथ से विधानसभा चुनाव हार चुके बंटी साहू को प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा है कि वे नकुलनाथ को टक्कर दे सकते हैं।
कांग्रेस के पास प्रत्याशी नहीं
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस फिलहाल पिछड़ी नजर आ रही है। चुनाव को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिख रही। कांग्रेस इस वक्त पार्टी में मची भगदड़ रोकने और सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में उलझी है। कई दिग्गज पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। हाल ही में सुरेश पचौरी, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अंतर सिंह दरबार जैसे बड़े नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पार्टी में मची भगदड़ को रोकने के लिए बैठकें कर रहे हैं। कांग्रेस ने अभी तक सिर्फ 10 सीटों पर ही नाम तय किए हैं। कई जगह कहा जा रहा है कि भाजपा को टक्कर देने वाले प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। कहीं दावेदार ही आगे नहीं आ रहे। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि पार्टी की तैयारियां चल रही हैं। पार्टी की ओर से नाम तय हो गए हैं, उनके एलान के लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा है। पार्टी के बड़े नेता ही नजर नहीं आ रहे। कमलनाथ छिंदवाड़ा तक सीमित हो गए हैं। दिग्विजय सिंह बीते कुछ दिनों से नजर नहीं आ रहे हैं। जीतू पटवारी पार्टी को एक करने में व्यस्त हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस बिखरी हुई है और लोकसभा चुनाव को लेकर फिलहाल मैदान में नजर नहीं आ रही। राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि कांग्रेस ने युद्ध का परिणाम आने से पहले ही खुद को पराजय मोड में कर लिया है।