मोदी सरकार का बड़ा फैसला- लोकसभा चुुनाव के ठीक पहले सीएए पूरे देश में लागू
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 11 मार्च। केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के पहले एक बड़ा सियासी कदम उठाते हुए पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने का नोटीफिकेशन जारी कर दिया। इसके साथ ही करीब पांच साल पहले संसद से पारित सीएए पूरे देश मे प्रभावी हो गया। इस कानून के तहत तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। विपक्ष ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं। ऐहितियातन देश के कई हिस्सों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के आखिरी दिनों में सियासी हंगामा खड़ा कर देने वाला सीएए करीब पांच साल बाद एक बार चर्चा में आ गया है। पांच साल से ढंडे बस्ते मे पड़े इस कानून को सरकार ने 11 मार्च से पूरे देश में लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। सरकार का शुरू से दावा है कि इस कानून में हमारे तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को भारत की नागिरकता देने का प्रावधान सरल किया गया है। इससे देश के मुस्लिमों की नागरिकता पर कोई असर नही पड़ेगा। लेकिन कुछ सियासी दल मुस्लिम को बरगला रहे हैं और इसलिए यह कानून इतने दिनों से लागू नहीं हो पाया है। सीएए लागू करना भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल है। इसलिए केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में यह कानून बनवाया और इस कार्यकाल में इसे अचानक पूरे देश में लागू करने का नोटीफिकेशन जारी कर दिया।
सरकार ने जिस तरह से अचानक लोकसभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले देश में सीएए लागू करने का कदम उठाया है, इससे विपक्ष के मन में शंकाएं गहरा गई हैं। विपक्ष इसे वर्ग विशेष को डराने का हथियार मान रहा है और इसका प्रचार भी उसी तरह से कर रहा है। इसलिए सीएए की अधिसूचना जारी होते ही सरकार ने देश के कई हिस्सों में ऐहतियातन सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
सीएए के प्रावधान
नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी। सीएए नियमों के तहत ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन मांगे जाएंगे। इस प्रक्रिया का काम पूरा हो चुका है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान शामिल हैं, से आए गैर मुस्लिम प्रवासी लोगों के लिए भारत की नागरिकता लेने के नियम आसान हो जाएंगे। इन छह समुदायों में हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी, शामिल हैं। सीएए, किसी व्यक्ति को खुद नागरिकता नहीं देता है। इसके जरिए पात्र व्यक्ति, आवेदन करने के योग्य बनता है। यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। इसमें प्रवासियों को वह अवधि साबित करनी होगी कि वे इतने समय में भारत में रह चुके हैं। उन्हें यह भी साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं। वे लोग उन भाषाओं को बोलते हैं, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। उन्हें नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा। इसके बाद ही प्रवासी आवेदन के पात्र होंगे।
विपक्ष का विरोध शुरू
संसद से पारित होने के चार साल से अधिक समय बाद आखिरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम से जुड़े नियम लागू हो गए हैं। केंद्र सरकार ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी। इसके बाद एक बार फिर कांग्रेस, टीएमसी, माकपा समेत तमाम विपक्षी दलों का विरोध शुरू हो गया है। वहीं भाजपा ने भी इस कानून को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। भाजपा ने कहा हम जो कहते हैं वो कर दिखाते हैं। कांग्रेस ने नागरिकता (संशोधन) कानून के लागू होने के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले इसके माध्यम से देश में खासकर पश्चिम बंगाल व असम में ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनावी बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने 'हेडलाइन मैनेज करने' की कोशिश भी की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी सूरत में बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू नहीं होने देंगी। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार मजबूत होती तो सीएए पहले ही लागू कर देती। लोकसभा चुनाव पहले ही इसे क्यों लागू किया गया। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने वाला कानून बताया। साथ ही कहा कि वे इसे किसी भी कीमत पर केरल में लागू नहीं होने देंगे।