मां कराना चाहती थी बेटी से जिस्म फरोशी...
नीमच। मां अपनी बेटी से जिस्म फरोशी का धंधा कराना चाहती थी, लेकिन बेटी को यह पसंद नहीं था। वह पढ़ना चाहती थी, लेकिन कोई मददगार नहीं मिल रहा था। जब मां ही उससे धंधा कराने पर उतारू हो तो कौन मदद करता। लेकिन ऊपर वाले ने उसकी सुन ली। उसकी मुलाकात एक ऐसे शख्स से करा दी जिसने उसे जिस्म फरोशी के दलदल में जाने से रोक लिया और उसकी पढाई लिखाई की व्यवस्था भी कराई। दोनों की मुलाकात पहले दोस्ती में.. फिर प्यार में बदली और अब दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया। उनका दुश्मन खुद उनका समाज और उनका परिवार था, इसलिए पुलिस के साए में न सिर्फ उनकी शादी हुई बल्कि उन्हें आशीर्वाद देने भी पुलिस वाले ही इकट्ठा हुए।
यह प्रेम कथा, मध्यप्रदेश के नीमच जिले के उस बांछड़ा समाज की है, जहां घर की लड़कियों से जिस्मफरोशी कराना परंपरागत पेशा है। नाबालिग लड़कियों को उनके माता पिता ही इस दल-दल में धकेल देते हैं। इस प्रेम कथा की नायिका के साथ भी यही होने जा रहा था। वह पढ़ना लिखना चाहती थी, लेकिन उसकी मां उसके शरीर को बेचना चाहती थी। इसी दौरान एक स्वयं सेवी संगठन ने उसके डेरे पर छापा डाला। इस दल में एक युवक उसी के समाज का था, जो अपने समाज की इस गंदी परंपरा को खत्म कर, समाज को नई दिशा देने के लिए काम कर रहा था। छापे में लड़की की मां को पांच लड़कियो से धंधा कराते हुए पकड़ा गया। उस युवक को जब पता चला कि नाबालिग नायिका पढ़ना चाहती है तो उसने संगठन की मदद से उसे डेरे से मुक्त कराया और उसे एक आवासीय स्कूल में भर्ती करा दिया। इसके चलते दोनों में दोस्ती हो गई जो कुछ समय बाद ही प्यार में बदल गई। दोनों के पास मोबाइल हो गए और पढ़ाई के साथ प्यार भरी बातें भी होने लगीं।
लेकिन कुछ दिन बाद लड़की की मां उसे स्कूल से ले आई औऱ फिर उससे धंधे में धकेलने की तैयारी करने लगी। मां ने समाज की पंचायत बुलाकर लड़के को धमकी भी दिलवा दी कि वह लड़की से दूर रहे। लेकिन प्यार ने सारे बंधन तोड़ दिए। लड़के ने एनजीओ के साथ साथ पुलिस की भी मदद ली और एक बार फिर लड़की को डेरे से मुक्त कराने में सफलता हासिल की। एक बार फिर लड़की हास्टल में रहकर पढ़ाई करने लगी। इस बार वैलेंटाइन डे तक वह बालिग हो चुकी थी। प्रेमी जोड़े ने जिंदगी साथ निभाने का फैसला लिया और पुलिस की मदद से वैवाहिक बंधन में बंध गए। परिवार और समाज के लोग भले ही उन्हें आशीर्वाद देने नहीं पहुंचे लेकिन पुलिस और प्रशासन ने दोनों को आर्शीवाद देकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश कराया।