महिलाओं को हेलमेट से छूट देने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा
खरी खरी संवाददाता
जबलपुर, 24 अक्टूबर। महिलाओं को दो पहिया वाहन चलाते समय छूट दिए जाने के मामले में मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश मोटर वाहन नियम, 1994 के नियम 213 (2) को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। इसके तहत मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 में दोपहिया की सवारी करते समय महिला सवारों के लिए हेलमेट पहनने की अनिवार्यता राज्य में लागू नहीं होती है। लागू किया गया नियम कहता है, "अधिनियम की धारा 129 का प्रावधान, ऐसी महिला या बच्चे पर लागू नहीं होगा जो 12 वर्ष से अधिक आयु का नहीं है।" इस तरह के नियम के कारण महिला दोपहिया सवारों को होने वाले खतरे से चिंतित NLIU भोपाल के एक छात्र हिमांशु दीक्षित द्वारा ये याचिका दायर की गई है। उन्होंने मध्यप्रदेश में महिला दोपहिया सवारों की होने वाली मृत्यु के मामलों के संबंध में विभिन्न आंकड़ों पर भरोसा किया, ताकि हेलमेट न पहनने के कारण अपनी जान गंवाने वालों की खतरनाक और परेशान करने वाली घटनाओं को उजागर किया जा सके। याचिका में जताई चिंता उन्होंने कहा है कि पुरुष और महिलाओं दोनों के किसी भी सड़क दुर्घटना में चोट के लिए समान रूप से अतिसंवेदनशील होने के नाते, राज्य सरकार महिलाओं को हेलमेट ना पहनने का अवसर प्रदान करके वास्तव में महिलाओं को मौत के कुएं में ढकेल रही है। इस प्रकार उन्होंने दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1) और 21 के तहत ये नियम मनमाना और उल्लंघनकारी है। आगे कहा गया कि मौजूदा नियम मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के खिलाफ होने के चलते ख़राब है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि लगाए गए नियम से राज्य के जिला प्रशासन द्वारा महिलाओं के लिए जारी "नो-हेलमेट, नो पेट्रोल" नियम के रूप में आम जनता के मन में भ्रम पैदा हो गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के यातायात कर्मियों द्वारा महिलाओं को दोपहिया सवारों को चालान जारी करने के कई उदाहरण सामने आए हैं जिसने राज्य की नीतियों और बिगड़े हुए शासन के बीच अस्पष्टता को और बढ़ा दिया है। उपर्युक्त प्रस्तुतियों के आधार पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने सरकारी वकील भूपेश तिवारी को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई 11 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध की गई है।