मप्र : युवा इंजीनियर पंचायत चुनाव के मैदान में

Jan 15, 2015

सिवनी, 15 जनवरी| युवा पीढ़ी आमतौर पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अच्छी नौकरी की चाह रखती है, लेकिन मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में जनजातीय वर्ग से ताल्लुक रखन ेवाली नेहा कुमरे एम.टेक करने के बाद नौकरी की जगह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए पंचायत चुनाव में हाथ आजमा रही हैं। 

सिवनी जिले के घंसौर विकास खंड की नेहा ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र के एनआईटी कॉलेज से एम.टेक किया है। जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में संविदा पर प्राध्यापक रह चुकी हैं।

नेहा ने पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला क्यों किया? आईएएनएस से पूछे गए इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि एक बार घंसौर जनपद पंचायत कार्यालय में उसे कुछ बुजुर्ग परेशान नजर आए और उन्होंने बताया कि 500 रुपये देने पर उनका जाति प्रमाण पत्र बन पाया है और उनके पास अपने गांव जाने के पैसे नहीं थे।

प्रमाण पत्र के नाम पर घूस लेने की घटना का जिक्र उसने अपने शिक्षक माता-पिता से किया और उन्होंने कहा कि इस हालात को सिर्फ राजनीति में जाकर ही बदला जा सकता है, उसी दिन नेहा ने राजनीति में जाने का फैसला कर लिया था। 

नेहा बताती है कि इन दिनों अध्यापन का काम नहीं कर रही हैं, इसलिए उसने सोचा क्यों न जिला पंचायत का चुनाव लड़ा जाए। उसने परिजनों के सामने अपनी इच्छा जाहिर की। माता पिता शुरुआती हिचकिचाहट के बाद इसकी मंजूरी दे दी। 

जब उससे पूछा गया कि क्या जिला पंचायत सदस्य बनकर गरीबों को वह किस प्रकार उनका हक दिला पाएंगी? नेहा ने कहा, "इरादा बड़ा हो तो लोगों की अपेक्षा पूरी की जा सकती है। वह भले ही और कुछ न कर पाए लेकिन गरीबों को प्रमाण पत्र पाने के लिए रिश्वत देने की स्थिति नहीं आने देगी।"

अंग्रेजी, हिंदी और जनजातीय भाषा में दक्ष नेहा इस चुनाव में हर किसी के आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि वह उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद नौकरी करने की जगह गांव के जरुरतमंदों को उनका हक दिलाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं। 

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