MP ELECTION में राम मंदिर की एंट्री, बीजेपी ने लगाए होर्डिंग्स, कांग्रेस को आपत्ति
सुमन त्रिपाठी
पिछले कई चुनावों से बीजेपी के लिए सत्ता का रास्ता आसान करने वाले श्री राम मंदिर मुद्दे की एंट्री अब मध्यप्रदेश के वर्तमान विधानसभा चुनाव में भी हो गई है। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय होते ही बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने की कवायद में जुट गई। श्री राम मंदिर निर्माण को बीजेपी के चुनाव अभियान का हिस्सा बना लिया गया। मध्यप्रदेश के कई शहरों में बीजेपी ने श्री राम मंदिर के चित्र के साथ अपने प्रचार अभियान के होर्डिंग्स लगा दिए। कांग्रेस इन होर्डिंग्स के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंच गई औऱ बीजेपी को नया सियासी मुद्दा मिल गया।
मध्यप्रदेश में बीजेपी ने राज्य सरकार की योजनाओं और घोषणाओं को अपने चुनाव अभियान का हिस्सा बनाया है। प्रदेश भर में लगाए गए होर्डिंग्स में सरकार की योजनाओं से हो रहे लाभ का जिक्र करते हुए, ....फिर इस बार भाजपा सरकार.... स्लोगन की पंच लाइन दी गई है। इन होर्डिंग्स पर योजनाओं के लाभार्थियों के फोटो भी लगाए गए हैं। कहीं भी किसी भी होर्डिंग्स पर राम मंदिर का कहीं कोई जिक्र नहीं था, लेकिन अयोध्या में श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख 22 जनवरी तय होकर उसका न्यौता श्री राम मंदिर ट्रस्ट की ओऱ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिलते ही नया सियासी खेल शुरू हो गया। पहले तो बीजेपी के नेताओँ ने इसे अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के जरिए खूब प्रचारित किया, फिर अगले दिन प्रचार अभियान के होर्डिंग्स पर भी यह मुद्दा आ गया। प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता मिलने पर सबसे पहले खुद पीएम की ओऱ से सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट डाली गई। इसमें उन्होंने लिखा कि यह उनका सौभाग्य है कि अपने जीवन काल में वे इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे। एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह का महिमा मंडन अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के जरिए किया। इस पर शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत और मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की प्रतिक्रिया ने मुद्दे को औऱ हवा दे दी। संजय राउत ने पीएम को आमंत्रण देने पर आपत्ति जताई और भव्य राम मंदिर निर्मांण का श्रेय कारसेवकों को दिया। वहीं कमलनाथ ने भाजपा नेताओँ को निमंत्रण मिलने पर आपत्ति जताई औऱ कहा कि श्री राम मंदिर भाजपा वालों का नहीं पूरे देश का है। इसके बाद दोनों पक्षों से कई नेताओं के बयान आते रहे।
इसके चलते बीजेपी को शायद इस बात का आभास हो गया कि श्री राम मंदिर का मुद्दा चुनावी लाभ दिला सकता है, क्योंकि किसी न किसी तरह कांग्रेस इसके खिलाफ नजर आएगी। अगले दिन बीजेपी ने इंदौर और भोपाल में कई जगह अपने चुनाव अभियान के होर्डिंग्स पर इस मुद्दे को लगा दिया। श्री राम मंदिर औऱ पीएम मोदी की तस्वीर वाले होर्डिंग्स पर लिखा गया, ‘भव्य राम मंदिर बनकर हो रहा तैयार, फिर इस बार बीजेपी सरकार...। इंदौर में कांग्रेस ने इन होर्डिंग्स को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए इन्हें हटवाने के लिए चुनाव आय़ोग में शिकायत कर दी। कांग्रेस का तर्क है कि श्री राम मंदिर सबका है तब भाजपा अपने चुनाव चिन्ह के साथ इसका उपयोग चुनाव प्रचार में कैसे कर सकती है।
भाजपा शायद इस मौके की तलाश में थी। उसने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस को घेर लिया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि कांग्रेस की असली दिक्कत प्रभु श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से और श्री राम से है। कांग्रेस को घृणा सनातन से तो थी ही, अब नफरत का स्तर इतना बढ़ गया है कि कांग्रेस को राम मंदिर के चित्र वाले होर्डिंगों से भी पीड़ा होने लगी है। उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों है, जब भी राम मंदिर निर्माण से जुड़ा कोई सुखद कार्य होने लगता है तो कांग्रेस का दर्द बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि यह तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल का असर है। हमारी हिंदुत्व के विचारों की विजय को बाबरी के पैरोकार कमलनाथ आज राम मंदिर को सनातन का मंदिर बता रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी प्रतिक्रिया व्यक्त करने में पीछे नही रहे। उन्होंने मध्यप्रदेश के दौरे पर आई कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से सवाल पूछ लिया कि उन्हें भगवान राम और श्रीराम मंदिर से क्या तकलीफ है। उधर वीडी शर्मा के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भगवान राम उन्हें सद्बुद्धि दें। उन्होंने कहा भगवन राम, भक्ति, आस्था, त्याग का विषय हैं, श्री राम की कोई पार्टी नहीं है तो वह दलगत राजनीति का विषय कैसे हो सकते हैं। दोनों तरफ इस मुद्दे पर टीका टिप्पणी का दौर चल रहा है और भाजपा के होर्डिंग्स यथवात हैं। ऐसे में पीएम मोदी भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट का दौरा भी कर गए। इस सबके चलते श्रीराम मंदिर एक बार फिर चुनावी मुद्दा बन गया है।