मध्यप्रदेश के 1275 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 16 सितंबर। सरकार के तमाम दावों और वादों के बाद भी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। लगभग 70 हजार स्कूल शिक्षकों के पद खाली हैं। प्रदेश के 1275 स्कूलों में एक भी शिक्षक नही है तो 6858 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ये आंकड़े तब और शर्मसार करते हैं जब पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में 28815 अतिशेष शिक्षक हैं। ऐसे में स्कूल चले हमें जैसे अभियान कैसे दम तोड़ देते हैं, पता ही नहीं चलता है।
प्रदेश में शिक्षकों की कमी से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल-बेहाल है। सरकार ने खराब रिजल्ट वाले स्कूलों में पदस्थ अतिथि शिक्षकों को सेवा मुक्त करने का फैसला लिया है, लेकिन सरकार के ही आंकड़े उसके कदम रोक रहे हैं। जब 1275 स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 6858 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे हैं तो अलग अलग कक्षाओं और अलग अलग विषयों की पढ़ाई कैसे होती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था ठीक करने के लिए युक्तियुक्त करण करती है। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में जहा शिक्षक ही नही हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में 28 हजार से ज्यादा अतिशेष शिक्षक हैं। शिक्षकों की कमी के चलते राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षण कार्य संभव ही नहीं हो पा रहा है। यह खुलासा शिक्षा पोर्टल पर अपलोड आंकड़ों से हुआ है। बीते 5 साल में 30 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई है, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश के छात्रों को क्वालिटी की शिक्षा मिलना मुश्किल है। प्रदेश में 1 लाख 22 हजार स्कूलों में 1 करोड़ 10 लाख छात्र पढ़ रहे हैं।
प्रदेश के बड़े शहरों के स्कूल भी शिक्षक विहीन हैं। भोपाल के 7, ग्वालियर के 18, इंदौर के 16 और जबलपुर के 15 स्कूल शामिल हैं। भोपाल के 43 स्कूलों में एक शिक्षक पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं में पढ़ा रहे हैं। अतिशेष शहरी क्षेत्रों में भोपाल सबसे अधिक है। शहर में 1036 अतिशेष शिक्षक हैं। उसके बाद ग्वालियर- 1038, इंदौर- 1131, सागर- 1145, सतना- 1094, जबलपुर- 700, भिंड- 929, बालाघाट- 925, देवास- 801, रीवा- 965, राजगढ़- 948 और भिंड- 929 का नाम आता है। प्राथमिक शिक्षकों की संख्या-1.40 लाख, प्राथमिक शिक्षकों के खाली पद- 20 हजार, माध्यमिक शिक्षकों की संख्या -61 हजार, माध्यमिक शिक्षकों के खाली पद-50 हजार हैं। सरकार का दावा है कि बहुत जल्द अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों में भेजा जाएगा और उसके बाद खाली पदों पर अतिथि शिक्षकों को रखा जाएगा।