मंत्री की बहू की मौत ने 6 दिन पहले स्थगित कराई विधानसभा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 21 मार्च। मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र निर्धारित अवधि 28 मार्च के एक सप्ताह पहले बुधवार को ही समाप्त हो गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार के मंत्री रामपाल सिंह की पुत्रवधू प्रीति की आत्महत्या के मामले में स्थगन के पहले अन्य किसी तरह काम काज से साफ इंकार कर दिया। इसको लेकर सदन मे भारी हंगामा हुआ और न तो प्रश्नकाल हो सका और न ही शून्यकाल हुआ। सदन के गर्भगृह में जहां कांग्रेस के सदस्य मंत्रियों और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे वहीं सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य अपने आसनों से ही कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
सुबह बैठक की शुरुआत होते ही हंगामे के कारण सदन न चल पाने के आसार तो थे, लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि सत्र अनिश्चकाल के लिए स्थगित हो जाएगा। इसका मुख्य कारण बुधवार की कार्यसूची में कई विभागों की बजट मांगों पर चर्चा के अलावा सप्लीमेंट्री बजट रखे जाने का तो उल्लेख था लेकिन विनिय़ोग विधेयक कार्यसूची में नहीं था। ऐसे में साफ लग रहा था कि हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आज स्थगित भले हो जाए लेकिन सत्र चलेगा। लेकिन हंगामे के बीच अध्यक्ष ने पहले तो आज की कार्यसूची में दर्ज कामकाज पूरा करवाया। उसके बाद सरकार की ओर से पूरक कार्यसूची सदन में रख दी गई। इसे मानते हुए स्पीकर शेष बचे विभागों की मांगो पर भी चर्चा पूरी मान ली और सप्लीमेंट्री बजट तथा मुख्य बजट भी बिना चर्चा के पास करवा दिया। नाराज विपक्ष ने इसे गलत बताते हुए स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिवालय को थमा दिया। इसमें आरोप लगाया गया कि स्पीकर स्वतंत्र रूप से काम करने के बजाय संसदीय कार्यमंत्री के इशारे पर काम करते हैं। इससे सदन का माहौल और गर्मा गया। स्पीकर ने आनन फानन में पूरक कार्यसूची के भी सारे काम निपटवा दिए और विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
बहुत दिनों बाद सदन में मूल बजट बिना चर्चा के पारित हो गया और पूरक कार्यसूची लाकर कामकाज निपटाया गया। सत्र समाप्ति के बाद जहां नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इसे काला दिन बताया वहीं संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस सदन चलाना ही नहीं चाहती है। वर्तमान विधानसभा का आखिरी बजट सत्र जिस तरह से समाप्त हुआ, उससे चर्चाओं का दौर गर्म है और इसे सदन की गिरती साख बताया जा रहा है।