भारत की कामयाबी का झंडा गाड़ने चांद की ओर चल पड़ा चंद्रयान-2

Jul 22, 2019

 

खरी खरी डेस्क

श्री हरिकोटा, 22 जुलाई। अंतरिक्ष के साथ साथ दुनिया भर में भारत की शक्ति मे चार चांद लगाने वाला चंद्रयान सोमवार को सफलता पूर्वक लांच होकर चांद की ओर चल पड़ा, ताकि चंद्रमा कीसतह पर भारत की कामयाबी का झंडा गाड़ सके। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित पूरे देश ने खुशी जाहिर कर इसरो को वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई को दोपहर बाद दो बजकर 43 मिनट पर किया गया। इससे पहले 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर इसे लांच किया जाना था लेकिन प्रक्षेपण यान में गड़बड़ी के कारण प्रक्षेपण से एक घंटे पहले उसे टालने का फैसला किया गया था। उस समय मिशन की करीब 19 घंटे की उलटी गिनती पूरी हो गयी थी। चंद्रयान के प्रक्षेपण के लिए जीएसएलवी-एमके3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह दुनिया का पहला मिशन है जिसमें लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। 

चन्द्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बधाई दी। उन्होंने अपने संदेश में कहा, 'श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है। भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’, नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे।'

आगे उन्होंने कहा,  'चंद्रयान-2 अब से लगभग 50 दिनों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरने वाला पहला अंतरिक्ष-यान होगा। आशा है यह मिशन नई खोजों को जन्म देगा और हमारी ज्ञान प्रणालियों को समृद्ध करेगा। मैं चंद्रयान-2 टीम की सफलता की कामना करता हूँ — राष्ट्रपति कोविन्द'। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि आज हर भारतीय को गर्व है। उन्होंने लिखा कि चंद्रयान 2 अद्वितीय है क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर अध्ययनों का पता लगाएगा। यह मिशन चंद्रमा के बारे में नया ज्ञान देगा।