भरत नाट्यम की थिरकन के साथ मंच पर दिखे योग के आसन

Jun 22, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल। विश्व योग दिवस के मौके पर शुक्रवार की शाम भोपाल के रवींद्र भवन में योग और नृत्य का अद्भुत संगम देखने को मिला। भरत नाट्यम की जानी मानी नृत्यांगना पदमश्री गीता चंद्रन ने अपनी संस्था नाट्यवृक्ष के सहयोगी कलाकारों के साथ योग और नृत्य का अनूठा प्रदर्शन किया। योग के आसनों के साथ भरत नाट्यम नृत्य करते हुए गीता ने उसकी व्याख्या भी की।

पदमश्री और संगीत नाटक अकादमी अवार्ड जैसे सम्मानों से विभूषित गीता चंद्रन शास्त्रीय नृत्य को हमेशा दर्शन, अनुष्ठान, धर्म, आध्यात्म जैसे विषयों के साथ जोड़कर प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने नृत्य के सिद्धांतों को समकालीन चिंतन से जोड़ा है। इसलिए विश्व योग दिवस के मौके पर उन्हेंने भरत नाट्यम को योग के साथ प्रस्तुत किया। सबसे पहले भगवान शिव की महिमा प्रस्तुत की गई। आदिशंकराचार्य द्वारा रचित शिवमहापंचाक्षरम श्लोकम पर नृत्य के जरिए गीता ने बताया कि योग और नृत्य आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं। योग सूत्र के रचयिता महर्षि पतंजलि भगवान शिव के महान आराधक थे। उन्होंने शिव के नृत्य को देखा और शिवजी ने उनसे कहा था कि उनके नृत्य पर आधारित योग सूत्र लिखा जाना चाहिए। उसके बाद ही पतंजलि ने योग सूत्र की रचना की थी। योग में जिस तरह सूर्य नमस्कार और भूमि प्रणाम की परंपरा है, उसी तरह भरत नाट्यम में भी ईश्वर को प्रणाम के साथ भेंट की परंपरा है। इसलिए प्रारंभ में अलारिप्पू के जरिए नृत्यांगनाओं ने अपनी नृत्य प्रस्तुति से सूर्य देवता को नमस्कार और भूमि माता को प्रणाम किया। इसमें बताया गया कि योग और नृत्य दोनों में शरीर-मन-आत्मा को जोड़कर आनंद की स्थिति तक पहुंचाया जाता है। इसलिए योग के आसनों की तरह नृत्य में अलग अलग प्रस्तुतियां दी जाती हैं। उन्होंने वारनाम की प्रस्तुति के साथ बहुत विस्तार से इस बारे में बताया। वारनाम भरत नाट्यम में केंद्रीय टुकड़े की तरह है जो सबसे सुंदर तत्वों को एक साथ लाता है। वारनाम की प्रस्तुति राग बेहाग में आदि ताल में की गई। इसकी रचना स्वर्गीय टीआर सुब्रममम ने की थी। वरनाम पूरी तरह से भागवत पुराण के नायक भगवान कृष्ण की प्रशंसा में लिखा गया है। गीत पहले भगवान कृष्ण की कमल जैसी आंखों की प्रशंसा करते हैं और कहते हैं कि भक्त उनकी आँखों से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध है। अनादि काल से ऋषियों और मुनियों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति और प्रार्थना की जाती रही है, हे कृष्ण, कृपया अपनी कमल की आंखें खोलें और मुझे आशीर्वाद दें, आपका भक्त जो आपकी सुंदरता से बहुत गहरा प्रभावित है। हे वेणुगोपाला, जो आपकी बांसुरी के मधुर आकर्षण का विरोध कर सकते हैं। चरणम में कवि कहते हैं कि कृष्ण की सुंदरता इतनी विशाल है कि एक करोड़ मदन भी उनकी महान चकाचौंध की तुलना नहीं कर सकते। सुधा रघुरामन द्वारा राग गगनमाश्रम में रचित कबीर के निर्गुण गीतों को भी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।