बैडमिंटन कोर्ट की दमदार साइना नेहवाल भाजपा के सियासी कोर्ट में खेलेंगी
खरी खरी डेस्क
नई दिल्ली, 29 जनवरी। जानी मानी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई हैं। साइना के साथ उनकी बहन बालीबाल खिलाड़ी चंद्रांशु ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। भाजपा ने जिस सोच के साथ दिल्ली चुनाव के दौरान उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई है, उससे केंद्र के सत्ताधारी दल को कितना फायदा मिल सकता है, इसका विश्लेषण किया जा रहा है।
दिल्ली चुनाव के करीब 10 दिन पहले साइना को बीजेपी में शामिल करने का एक मकसद ये हो सकता है कि सोशल मीडिया पर उनकी फैन फॉलोइंग बहुत ही शानदार है। खासकर दिल्ली के वोटर जिस तरह से जागरूक हैं, उनके बीच साइना की ये पहचान बहुत ही मायने रखती है। खेल की दुनिया में अंतरराष्ट्रयीय शख्सियत की सोशल मीडिया पर लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 85 लाख, फेसबुक पर 76 लाख 36 हजार से ज्यादा और इंस्टाग्राम पर 14 लाख से ज्यादा हैं। अगर बात पहले के चुनावों में बड़े स्पोर्ट्समैन को भाजपा में शामिल करने के परिणामों की बात करें तो इसका नतीजा मिला-जुला देखने को मिलता है। मसलन, लोकसभा चुनाव से पहले क्रिकेटर गौतम गंभीर को पार्टी ने टिकट दिया तो वे पूर्वी दिल्ली से भारी वोटों से जीत गए, लेकिन हरियाणा चुनाव में रेसलर बबिता फोगाट अपनी सीट भी नहीं बचा पाईं। यही हाल रेसलर सुशील कुमार का भी हुआ। लेकिन, उसी चुनाव में हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह जीतने में कामयाब रहे और उन्हें हरियाणा में मंत्री भी बनाया गया।
मौजूदा चुनाव में दिल्ली में महिला वोटरों की तादाद बढ़कर 66.35 लाख हो चुकी है। ऐसे में साइना नेहवाल की पार्टी में एंट्री का एक मकसद महिलाओं को भी रिझाना है और उनकी कामयाबी की बदौलत हर उम्र और वर्ग के वोटरों को भी पार्टी के पक्ष में खींचकर लाना है। अगर साइना के करियर की बात करें तो वह ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी तो हैं ही, देश में बैडमिंटन की पोस्टर गर्ल भी रह चुकी हैं। उनके नाम लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल समेत कुल 24 इंटरनेशनल टाइटल हैं, जिसमें से 22 सुपर सीरीज और ग्रैंड प्रिक्स खिताब शामिल हैं। साइना के पक्ष में एक बात ये जाती है कि करियर में कुल 438 जीत दर्ज करने वाली यह महिला खिलाड़ी अभी भी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिनका गोल अगले ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर लाना है। अपनी इन्हीं सफलताओं की वजह से वह इतनी कम उम्र में ही राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2010), अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं। जाहिर है कि दिल्ली के महिला, युवा और जागरूक वोटरों के लिए उनकी ये पहचान बहुत अहमियत रखती है।
साइना नेहवाल ने 30 साल से भी कम उम्र में भी खेल की दुनिया में जो मुकाम हासिल किया है, वह भारतीय युवाओं के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। भाजपा को उम्मीद है कि पिछले पांच वर्षों में दिल्ली में जो 13 लाख नए वोटर जुड़े हैं, उनमें से ज्यादातर युवा हैं और उनपर साइना का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। इन युवा वोटरों की उम्र 18 से 23 साल के बीच है, जिनमें से 1.11 लाख नए वोटर तो 19 साल से भी कम हैं और पिछले एक साल के भीतर ही मतदाता बने हैं। इनके अलावा दिल्ली के कुल 1.46 लाख वोटरों में 23 साल से ज्यादा के युवा वोटरों की तादाद भी कई लाखों में है, जिनके लिए साइना नेहवाल हमेशा रोल मॉडल रही हैं।