बस्ते के बोझ में कमी बच्चों के चेहरों पर लाएगी मुस्कान
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 24 फरवरी। मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने स्कूल बैग पालिसी को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सीएम की इच्छा से सभी जिम्मेदारों को अवगत करा दिया है। सरकार बस्ते का बोझ कम करके बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाना चाहती है। इसलिए स्कूली बच्चों के बस्ते का भार कम करने और एक दिन बिना बैग के बच्चों को स्कूल पहुंचाने की योजना बनाई है।
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने नई स्कूल बैग पॉलिसी जारी की है। यह पालिसी बच्चों के कांधे का बोझ कम करने के साथ उनके दिल और दिमाक का बोझ भी कम करने वाली मानी जा रही है। नई स्कूल बैग नीति में शामिल किए गए प्रावधान कुछ यही संकेत दे रहे हैं। इसी में यह प्रावधान शामिल है कि अब प्रदेश के सभी स्कूलों में हफ्ते में एक दिन नो बैग डे रहेगा। उस दिन सारे बच्चे बिना स्कूल बैग के स्कूल पहुंचेंगे। पालिसी में यह भी प्रावधान है कि दूसरी कक्षा तक के छात्रों को अब कोई होमवर्क नहीं दिया जाएगा। इस पॉलिसी में कक्षा एक से लेकर 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए बैग के वजन की सीमा तय कर दी गई है। वैसे शिक्षा विभाग ने 2022 में ही ये आदेश जारी किए थे जिसे अब नए सत्र से सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। ये निर्देश सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों पर लागू होंगे। स्कूलों में बच्चे भारी बैग के बोझ से परेशान होते हैं। इसके चलते सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को नई गाइडलाइन जारी की गई है। बच्चों के क्लास के हिसाब से उनके बस्तों का वजन भी तय किया गया है। सरकार ने जो स्कूल बैग पॉलिसी जारी की है उसके अनुसार, पहली कक्षा के स्टूडेंट के स्कूल बैग का अधिकतम वजन 2 किलो 200 ग्राम होगा, जबकि 10वीं क्लास के स्टूडेंट्स के बस्ते का अधिकतम वजन 4.5 किलोग्राम होगा। स्कूल बैग का वजन बोतल और टिफिन मिलाकर तय होगा। सरकार ने स्कूल के बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने के लिए जो सख्ती दिखाई है, वह आने वाले दिनों में बच्चों के कांधे से बैग का बोझ हटाकर खुशियों का बोझ टांग सकती है। इस पॉलिसी में 11 वीं और 12 वीं के स्टूडेंट्स के लिए बस्तों के वजन का निर्धारण नहीं किया गया है. इस पॉलिसी में 11वीं और 12 वीं में बस्ते का वजन निर्धारित करने का जिम्मा स्कूल प्रबंधन पर ही छोड़ दिया गया है। हालांकि कहा गया है कि प्रबंधन बच्चों की सुविधा का ध्यान रखे। इन दोनों ही क्लास में छात्रों के स्ट्रीम के आधार पर बैग का वजन तय किया जा सकता है। मध्यप्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला पहला राज्य है, जिसके तहत स्कूलों में बस्ते के वजन को कम कर दिया गया था। इसके तहत साल 2022 में ही स्कूलों को निर्देश जारी किया गया था लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा था। अब सरकार ने इसे सख्ती से लागू करने का फैसला किया है।
शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने नए शैक्षणिक सत्र (2024-25) से स्कूल बैग पॉलिसी का सख्ती से पालन कराने के निर्देश जारी किए है।स्कूलों को हिदायत दी गई है कि बस्तों का वजन नियत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बच्चे अपने-अपने बैग के बोझ से परेशान हैं और छुट्टी होते ही वे अपने अभिभावक या कैब चालक को बैग थमाते दिख जाते हैं। डॉक्टरों ने भी छोटे-छोटे बच्चों की सेहत की दृष्टि से इसे सही नहीं माना है और बच्चों में पीठ दर्द, जोड़ दर्द आदि बीमारियों का होना भारी बैग को बताया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करने जाने वाले बच्चों के बैग को देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेशों की कैसे धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। स्कूली बैग के बढ़े बोझ तले बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। किताबों से भरे बैग बेचारे मासूम बच्चे अपने कंधों पर ढो रहे हैं। हंसने-खेलने की उम्र में बच्चों की पीठ पर किताबों व कापियों का इतना बोझ होता है कि बच्चे लाचार नजर आते हैं। पांचवीं और छठी कक्षा का कोर्स इतना ज्यादा है कि किताबों का वजन उठाना मुश्किल हो जाता है। छुट्टी के वक्त दोपहर में चिलचिलाती धूप में बच्चों को बैग उठाकर स्कूल से घर तक पहुंचने में काफी दिक्कत होती है। वहीं स्कूल में सप्ताह में होने वाली खेल गतिविधियों के लिए भी खेल का सामान घर से लेकर जाना पड़ता है। नई पालिसी इन सबसे मुक्ति दिलाकर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाएगी और कांधे पर से बैग का बोझ कम करके खुशियों का बोझ टांगेगी।